“बिना लाइसेंस के चाइनीज खिलौनों का होता है आयात, चॉकलेट के नाम पर भेजे जाते हैं खिलौने”- बीएसआई महानिदेशक
नई दिल्ली
पिछले दो सालों में लगभग 160 से ज्यादा चाइनीज खिलौना निर्माताओं ने भारतीय मानक ब्यूरो से बीआईएस सर्टिफिकेशन मार्क के लाइसेंस के लिए आवेदन किया है। हालांकि, अब तक किसी भी निर्माता को बीआईएस लाइसेंस नहीं दिया गया है। बीआईएस के महानिदेशक प्रमोद कुमार तिवारी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, "आज तक किसी भी चीनी खिलौना निर्माता को बीआईएस लाइसेंस नहीं दिया गया है।" इस बात की जानकारी बीआईएस के 76वें स्थापना दिवस के दौरान आयोजित कार्यक्रम में कही गई।
"चाइनीज खिलौना कंपनी ने लाइसेंस के लिए नहीं किया अप्लाई"
प्रमोद तिवारी ने कहा, "किसी भी चाइनीज कंपनी को इस बात की अनुमति नहीं है कि वो भारत में चीन से खिलौने लेकर आए। साथ ही 1 जनवरी, 2021 में यह अनिवार्य कर दिया गया था कि चीन से खिलौना लाने के लिए चीनी कंपनियों को लाइसेंस लेना होगा लेकिन उसके बाद से अब तक किसी भी चाइनीज खिलौना कंपनी ने लाइसेंस के लिए अप्लाई नहीं किया है।
भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि ब्यूरो के अधिकारियों ने कई बार एयरपोर्ट और मॉल में खिलौनों की दुकानों पर छापेमारी भी की है। एक सवाल का जवाब देते हुए प्रमोद तिवारी ने कहा, "अगर आप किसी भी खिलौना विक्रेता को चाइनीज खिलौना बेचते हुए देखते हैं तो बीएसआई से इसकी शिकायत कर सकते हैं।" साथ ही उन्होंने कहा कि अगर किसी को भी ऐसा कोई खिलौना दिखता है जिसपर 'Made In China' लिखा हो तो भी वो तुरंत बीएसआई को इसकी शिकायत कर सकते हैं और इसके बाद कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
कई जगह की गई है छापेमारी
उन्होंने कहा, "हमने दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरू के हवाईअड्डों और देश भर के अन्य कई प्रमुख हवाईअड्डों की दुकानों पर तलाशी शुरू की थी। अपनी जांच के दौरान हमने कई मॉलों में भी तलाशी ली है। यह तलाशी इस पूरे महीने जारी रहेगी।"
महानिदेशक तिवारी ने बताया कि इस छापेमारी के दौरान बीआईएस को चीन में बने खराब खिलौने मिले। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक जांच में पता चला है कि भारत में चीन से खिलौने की तस्करी में कुछ लोग शामिल है। तिवारी ने बताया कि ऐसे भी कई मामले सामने आए हैं जिसमें चीन से खिलौने भारत चॉकलेट के नाम पर आयात किए जा रहे हैं।
29 विदेशी कंपनियों के पास है लाइसेंस
आपको बता दें, बीआईएस ने भारत में 982 घरेलू निर्माताओं को यह लाइसेंस दिया है। इसके साथ ही 29 विदेशी निर्माताओं को भी लाइसेंस दिया गया है जिसमें वियतनाम, श्रीलंका, चेकोस्लोवाकिया आदि के निर्माता शामिल हैं। विदेशों को दिए गए 29 लाइसेंसों में से 14 लाइसेंस वियतनाम की कंपनियों के पास हैं।