जिस ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने को कांग्रेस है बेकरार, मनमोहन सिंह के सिपहसलार ने बताया बेतुका
नई दिल्ली
योजना आयोग के पूर्व प्रमुख मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कांग्रेस शासित कुछ राज्यों द्वारा पुरानी पेंशन योजना को वापस लाने के निर्णय को बेतुका ठहराया है। उन्होंने कहा कि इससे वित्तीय दिवालियापन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। एक कार्यक्रम के दौरान ओपीएस से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए मनमोहन सिंह के भरोसेमंद अधिकारी रहे अहुलवालिया ने कहा, "मैं निश्चित रूप से यह मानता हूं कि यह कदम बेतुका है। इससे सिर्फ वित्तीय दिवालियापन की स्थिति उत्पन्न होगी। इसे लागू करने वालों के लिए राहत की बात यह है कि यह दिवालियापन 10 साल बाद आएगा।'' उन्होंने आगे कहा, ''इस विषय पर अर्थशास्त्रियों के पास कहने के लिए कुछ नहीं है। राजनीतिक दलों या सत्ता में बैठे लोगों को ऐसे कदम उठाने से रोका चाहिए। यह फैसला वित्तीय आपदा का कारण बनेगा।''
आपको बता दें कि 2004 में पुरानी पेंशन व्यवस्था को खत्म कर दिया गया था। एक नई राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली चल रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसे वापस लाने से पहले से ही कमजोर अर्थव्यवस्था से जूझ रहे राज्यों पर भारी राजकोषीय बोझ पड़ेगा। पेंशन प्रणाली में सुधारों की दिशा में यह एक बड़ा झटका होगा। केंद्र सरकार ने कहा है कि पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के करीबी अहलूवालिया ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना की तरफ लौटने से पहले इसके कारण होने वाले राजकोषीय नुकसाव को समझने की जरूरत है।
आपको बता दें कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ ने सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने का ऐलान कर दिया है। पंजाब में भी इसकी घोषणा की गई है। अब हिमाचल प्रदेश में लागू करने की बारी है। नए नवेले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि कैबिनेट विस्तार के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को जरूरी तैयारी पूरी कर लेने के लिए भी कहा है।
आपको यह भी बता दें कि पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करना राज्यों के लिए आसान नहीं है। राज्यों ने अब तक एनपीएस फंड में जमा हुई रकम मांगने के लिए पीएफआरडीए के समक्ष आवेदन किया था, जिसे पेंशन रेग्युलेटरी संस्था ने ठुकरा दिया है। इस पर विवाद शुरू हो गया है। छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने इसे केंद्र सरकार का अड़ंगा बताया है। उन्होंने कहा कि एनपीएस में जो भी रकम जमा हुई है, वह राज्य सरकार के खाते से और कर्मचारियों के हिस्से से गई है। इसलिए केंद्र सरकार का उस पर कोई हक नहीं बनता है और उसे तुरंत रिफंड किया जाना चाहिए।