पहली बार जापान के साथ युद्धाभ्यास करेगी भारतीय वायुसेना, चीन की नाक के नीचे ताकत का प्रदर्शन
नई दिल्ली
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद शांति के रास्ते पर चलने वाले जापान ने भगवान बुद्ध के रास्ते को छोड़ दिया है और चीन की आक्रामकता को उसी की भाषा में जवाब देने का फैसला किया है। चीन, जिस तरह से भारत को परेशान करता है, उसी तरह से जापान को भी परेशान करता है, लिहाजा जापान ने अपनी शांति नीति को खत्म करते हुए एक बार फिर से अपनी सेना का निर्माण करने का फैसला किया है। वहीं, ऐसा पहली बार हो रहा है, जब भारत और जापानी वायुसेना एक साथ मिलकर युद्धाभ्यास करेंगे। Expand भारत-जापान का युद्धाभ्यास भारत और जापान 12 से 26 जनवरी तक पहली बार द्विपक्षीय हवाई अभ्यास करेंगे, जो भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन की सैन्य ताकत पर बढ़ती चिंताओं के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों को दर्शाता है।
भारतीय वायु सेना (IAF) और जापान एयर सेल्फ डिफेंस फोर्स (JASDF) मिलकर 'वीर गार्जियन-2023' नाम से खतरनाक एयर डिफेंस सैन्य अभ्यास करने वाले हैं और ये युद्धाभ्यास जापान के हयाकुरी हवाई अड्डे पर आयोजित किया जाएगा। इंडियन एयरफोर्स ने कहा है, कि इस युद्धाभ्यास में चार Su-30 MKI जेट, दो C-17 विमान और एक IL-78 विमान शामिल होंगे। वहीं, जापानी एयरफोर्स की तरफ से चार एफ-2 और चार एफ-15 विमान हिस्सा लेंगे। वहीं, इंडियन एयरफोर्स ने एक बयान में कहा कि, "देशों के बीच वायु रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए, भारत और जापान संयुक्त हवाई अभ्यास 'वीर गार्जियन-2023' आयोजित करने के लिए तैयार हैं।"
चीन के खिलाफ भारत और जापान पिछले साल सितंबर में भारत और जापान ने टोक्यो में दूसरी '2 + 2 विदेश और रक्षा मंत्रिस्तरीय' वार्ता के दौरान द्विपक्षीय रक्षा सहयोग बढ़ाने और पहले संयुक्त लड़ाकू जेट अभ्यास सहित अधिक सैन्य अभ्यास में शामिल होने पर सहमत हुए थे। वहीं, IAF ने कहा कि, आगामी अभ्यास दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंधों को गहरा करने और रक्षा सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक और कदम होगा। भारतीय वायुसेना ने कहा कि, "उद्घाटन अभ्यास में दोनों वायु सेनाओं के बीच विभिन्न हवाई युद्ध अभ्यास शामिल होंगे। वे एक जटिल वातावरण में मल्टी-डोमेन वायु युद्ध मिशन करेंगे और सर्वोत्तम अभ्यासों का आदान-प्रदान करेंगे।" भारतीय वायुसेना की तरफ से कहा गया है, कि ये "अभ्यास 'वीर गार्जियन' दोस्ती के लंबे समय से चले आ रहे आपसी बंधन को और मजबूत करेगा और दोनों वायु सेनाओं के बीच रक्षा सहयोग के रास्ते बढ़ाएगा।"
सेना का निर्माण करेगा जापान आपको बता दें कि, द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद शांति को अपने संविधान में शामिल करने वाले जापान ने अब सेना के निर्माण का ऐलान कर दिया है। जापान ने कहा है, कि वह अकल्पनीय रकम 320 अरब डॉलर खर्च कर सैन्य निर्माण शुरू करेगा और जापान ने साफ कर दिया है, कि उसका फोकस चीन रहने वाला है। जापान ने कहा है, कि वो ऐसे हथियारों पर पैसे खर्च करेगा, जो उसे चीन पर हमला करनवे में सक्षम बनाएगा और वो ऐसे मिसाइलों का निर्माण करेगा, जो उसे किसी भी वक्त संघर्ष के लिए तैयार रखेगा। जापान का द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का बना संविधान, आधिकारिक तौर पर सेना को मान्यता नहीं देता है और इसे नाममात्र की आत्मरक्षात्मक क्षमताओं तक सीमित करता है। लेकिन, जापान सरकार ने जो नई पंचवर्षीय योजना को जारी किया है, उसमें राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में संशोधन की गई है। सरकार ने कहा है, कि वो अब सैन्य स्पेयर पार्ट्स और गोला-बारूद का भंडारण भी करेगी।
जापान को सता रहा चीन का डर पिछले महीने जारी जापान के नेशनल सिक्योरिटी पेपर में कहा गया है, कि "यूक्रेन पर रूस का आक्रमण उन कानूनों का गंभीर उल्लंघन है, जो फोर्स के उपयोग को प्रतिबंधित करते हैं और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की नींव हिलाते हैं।" इसमें आगे कहा गया है कि, "चीन द्वारा प्रस्तुत रणनीतिक चुनौती जापान द्वारा सामना की गई अब तक की सबसे बड़ी चुनौती है।" आपको बता दें कि, जापान के पास जो मिसाइलें इस वक्त मौजूद हैं, उसकी मारक क्षमता कुछ सौ किलोमीटर तक ही सीमित हैं, लिहाजा पिछले दिनों जापानी मीडिया में दावा किया गया था, कि अब जापान सरकार एक हजार लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों को चीन की तरफ तैनाती करेगा।