झारखंड कांग्रेस में मचा घमासान, 4 नेताओं ने ‘कप्तान’ के खिलाफ ही खोल दिया मोर्चा
झारखंड
कांग्रेस पार्टी मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में एक सिरा पकड़ती है तो दूसरा छूट जाता है। कई दशकों बाद गांधी परिवार से इतर पार्टी अध्यक्ष का चुनाव कराकर आंतरिक लोकतंत्र बहाल करने में जुटी कांग्रेस पार्टी गृहयुद्ध को नहीं टाल पा रही है। इस समय, शायद ही ऐसा कोई प्रदेश हो जहां कांग्रेस में आंतरिक टकराव नहीं है। ऐसा नहीं है कि ये आंतरिक टकराव अन्य पार्टियों में नहीं होगा लेकिन कांग्रेस के साथ समस्या ये है कि नेताओं के बीच महात्वाकांक्षाओं की ये लड़ाई सार्वजनिक मंच पर सुर्खियां बनती हैं। राहुल गांधी जहां एक ओर भारत जोड़ो यात्रा पर निकले हैं वहीं प्रदेशों में आतंरिक टूट जारी है। ताजा मामला झारखंड का है जहां पार्टी नेतृत्व और पूर्व प्रवक्ताओं के बीच वाक्युद्ध छिड़ा हुआ है।
3 पूर्व प्रवक्ताओं सहित 4 नेताओं को किया निलंबित
दरअसल, झारखंड कांग्रेस के 3 पूर्व प्रवक्ताओं आलोक दूबे, लाल किशोर नाथ शाहदेव, राजेश गुप्ता छोटू सहित एक अन्य नेता साधुशरण गोप ने प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कारण है उनके खिलाफ की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई। दरअसल, झारखंड कांग्रेस की अनुशासन समिति ने उक्त नेताओं को निलंबित करते हुए इन्हें 6 वर्षों के लिए पार्टी से निष्कासित करने की अनुशंसा केंद्रीय नेतृत्व को की है। पूर्व प्रवक्ताओं ने इसे मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष का अहंकार और बदले की भावना से लिया गया फैसला बताया है। रविवार को अनुशासन समिति ने केंद्रीय नेतृत्व से अनुशंसा की और सोमवार को लालकिशोर नाथ शाहदेव, आलोक दूबे, राजेश गुप्ता छोटू और साधुशरण गोप ने प्रेस कांफ्रेंस कर अनुशासन समिति के फैसले और प्रदेश अध्यक्ष के रवैये पर सवाल उठाए। साथ ही ये भी कहा कि उनके सर्वोच्च नेता राहुल गांधी है जिन्होंने सिखाया है कि डरो मत। प्रवक्ताओं ने कहा कि हम सच कहने से डरते नहीं हैं। ना ही हमारा पीछे हटने का कोई इरादा है।
पूर्व प्रवक्ताओं ने प्रदेश अध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाए
वरिष्ठ नेता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि हमारे खून में कांग्रेस पार्टी और उसकी विचारधारा दौड़ती है। हमने लगातार 32 वर्षों तक पार्टी की सेवा की है। उसका यही सिला है कि हमें पार्टी से निकाल दिया जाए तो प्रदेश अध्यक्ष ये शौक भी पूरा कर लें। आलोक दूबे ने आरोप लगाया कि दूसरे दलों से आए लोग आज कांग्रेस पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को अपमानित कर रहे हैं। गौरतलब है कि प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ सार्वजनिक बयानबाजी के आरोप में जब इन पूर्व प्रवक्ताओं के खिलाफ नोटिस जारी किया गया था तब भी आलोक कुमार दूबे ने प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर को कांग्रेस में बीजेपी का आदमी बताया था। आलोक कुमार दूबे ने प्रदेश अध्यक्ष पर व्यक्तिगत दुश्मनी और अहंकार की वजह से ऐसा फैसला ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि संगठन व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने का मंच नहीं है।
आलोक कुमार दूबे ने कहा कि हमारे खिलाफ पक्षपातपूर्ण फैसला लिया गया। उन्होंने कहा कि 4 दिसंबर 2022 को जिला अध्यक्षों के मनोनयन से 13 दिसंबर 2022 तक प्रदेश प्रभारियों के मनोनयन तक कई लोगों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष का पुतला जलाया। नारेबाजी की। ऐसे नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष ने अहम पद दिए। सम्मान दिया। कहा कि, ये तो जांच का विषय है।
लंबित कमिटियों के गठन के बाद भड़की विरोध की आग
गौरतलब है कि दिसंबर 2022 में झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी ने कई जिला स्तरीय और प्रखंड स्तरीय कमिटियों का गठन किया था। प्रदेश स्तर पर 20 सूत्री कमिटी का गठन किया गया था। हालांकि, लिस्ट जारी होते ही जिलाध्यक्षों के पद पर अल्पसंख्यकों को जगह नहीं देने को लेकर काफी विवाद हुआ। विरोध प्रदर्शन किया गया। आनन-फानन में दूसरी लिस्ट जारी की गई जिसमें कम से कम 4 जिलों में अल्पसंख्यक जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की गई। इस बीच जामताड़ा में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के सामने कार्यकर्ताओं के 2 गुट भिड़ गए। जमकर बवाल हुआ। राजेश ठाकुर के साथ भी धक्का-मुक्की की गई। अब ये देखना है कि प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व कैसे इस बवाल को शांत करता है।
चौतरफा मुश्किलों में घिरी है झारखंड कांग्रेस पार्टी
गौरतलब है कि झारखंड कांग्रेस इस समय चौतरफा संकटों का सामना कर रही है। गोला गोलीकांड में सजा सुनाए जाने के बाद रामगढ़ विधायक ममता देवी की विधायकी जा चुकी है। अब वहां उपचुनाव होगा। रामगढ़ सीट पर वापसी एक बड़ी चुनौती होगी। कांग्रेस के 3 विधायक कैश कांड मामले में निलंबित किए जा चुके हैं। ईडी ने राजेश कच्छप, इरफान अंसारी और नमन बिक्सल कोंगाड़ी को अलग-अलग तिथियों में पूछताछ के लिए बुलाया है। बेरमो विधायक अनूप सिंह से पूछताछ की जा चुकी है। ऐसे में आंतरिक विवाद निश्चित रूप से बड़ी समस्या खड़ी करेगा।