मंदसौर गोलीकांड की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं करती सरकार : सकलेचा
अमिताभ पाण्डेय
भोपाल । पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार मंदसौर गोलीकांड की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करना चाहती है। इस मामले में जांच आयोग ने जो रिपोर्ट दी उसका खुलासा जनहित में किया जाना चाहिए।
इस मामले में फिलहाल स्थिति यह है कि जैन आयोग की रिपोर्ट सदन मे रखने की मांग पर बहस के लिए शासन की ओर से समय मांगा गया है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार मंदसौर गोलीकांड पर गठित जैन आयोग की रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखने की मांग पर उच्च न्यायालय इंदौर में चल रही पिटीशन पर शासकीय अधिवक्ता ने बहस के लिए समय मांगा है। अब अगली सुनवाई 2 सप्ताह बाद होगी ।
उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय इंदौर में मंदसौर गोलीकांड पर पूर्व विधायक पारस सकलेचा की पिटीशन मे जैन आयोग की रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखने की मांग की गई थी , जिस पर न्यायालय ने शासन को अपनी स्थिति स्पष्ट करने का कहा था । शासन ने अपने जवाब मे पिटीशन पर आपत्ति लेते हुए कहा था कि आयोग की रिपोर्ट पटल पर रखने के लिए शासन बाध्य नहीं है । और इस संदर्भ में विभिन्न उच्च न्यायालय के फैसलों का उल्लेख करते हुये पिटीशन खारिज करने की मांग की गई ।
शासन की आपत्ति पर पिटीशनर श्री सकलेचा के अधिवक्ता अभिनव धनौतकर ने बहस की मांग की । इस पर शासकीय अधिवक्ता ने बहस के लिये समय मांगा । अब अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी ।यहां यह बताना जरूरी होगा कि मंदसौर में पिपलिया मंडी के पास 6 जून 2017 को पार्श्वनाथ चौराहे पर हुए गोलीकांड में 5 किसानों की मृत्यु हुई थी । इस मामले की जांच के लिए 12 जून को सेवानिवृत न्यायमूर्ति जे के जैन की अध्यक्षता में जैन आयोग का गठन किया गया था ।
आयोग ने 13 जून 2018 को अपनी रिपोर्ट शासन को पेश कर दी । पिटीशनर श्री सकलेचा की मांग थी कि जांच आयोग अधिनियम 1952 की धारा 3(4) के तहत शासन का यह दायित्व है कि वह आयोग की अनुशंसा अनुसार कार्यवाही कर रिपोर्ट को 6 माह में सदन के पटल पर रखे । इस पर शासन का जवाब था कि आयोग की धारा 3(4) बधंनकारी नहीं है ।
इस मामले में महत्वपूर्ण सवाल यह भी है कि जब जांच आयोग की रिपोर्ट आ गई है तो उसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा है। जांच में शासन का को धन और समय लगा है उसके बाद जांच के निष्कर्ष सामने क्यों नहीं लाए जा रहे हैं ?
जांच आयोग की रिपोर्ट का खुलासा नहीं करने के पीछे आखिर शासन की मंशा क्या है ?