कांग्रेस MLA अजब सिंह को हाईकोर्ट से मिली राहत,विधायकी जाने का ख़तरा फिलहाल टला
जबलपुर
विधायकी गंवाने की दहलीज़ पर खड़े कांग्रेस विधायक अजब सिंह कुशवाहा को हाईकोर्ट से राहत मिल गयी है. सुमावली से कांग्रेस विधायक कुशवाहा की विधायकी जाने का ख़तरा फिलहाल टला गया है. जबलपुर हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दी.
जमीन फर्जीवाड़े के मामले में ग्वालियर की विशेष अदालत के दो साल की सजा के आदेश पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है. लेकिन,विधायक अजय सिंह कुशवाहा की पत्नी शीला कुशवाहा को फिलहाल कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है.
जमीन की धोखाधड़ी का आरोप
अजब सिंह कुशवाहा के अधिवक्ता शशांक शेखर ने बताया कि जस्टिस संजय द्विवेदी की सिंगल बैंच ने लंबी बहस के बाद निचली अदालत के फ़ैसले पर रोक लगाई है. विधायक की ओर से कोर्ट में तर्क दिया गया कि जिस ज़मीन के फर्जीवाडे में उन्हें आरोपी गया था, उस जमीन में उनकी कोई संलिप्तता नहीं थी. कथित जमीन विधायक की पत्नी शीला कुशवाहा के नाम पर थी. सेल डीड की गवाही में भी विधायक का नाम नहीं था. विशेष अदालत से विधायक को दी गयी दो साल की सजा से उन्हें अपूरणीय क्षति हो सकती है.यहां तक कि उनकी विधानसभा सदस्यता भी जा सकती है. सभी पक्षों के तर्क सुनने के बाद हाई कोर्ट ने आगामी आदेश तक विधायक अजब सिंह कुशवाहा की सजा पर रोक लगा दी. वहीं उनकी पत्नी शीला कुशवाहा के मामले में कोई राहत नहीं दी है.
ये था मामला
यहां बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक कांग्रेस विधायक ऐदल सिंह कंसाना के बीजेपी में शामिल होने के बाद नवंबर 2020 में सुमावली में उपचुनाव हुआ था. इसमें कांग्रेस के उम्मीदवार अजब सिंह कुशवाह ने बीजेपी के ऐदल सिंह कंसाना को हरा दिया और विधायक चुने गए. विधायक बनने के बाद अजब सिंह कुशवाह कानूनी मुश्किलों में फंस गए. उन पर सरकारी जमीन बेचने के आरोप लगे.इस मामले में उनके खिलाफ ग्वालियर के महाराजपुरा थाने में धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज हुई. आरोप लगाया गया कि विधायक ने सरकारी जमीन को लगभग 75 लाख में बेच दिया है.
..तो सब हाथ से चला जाता
पुरुषोत्तम शाक्य ने आरोप लगाया कि विधायक अजब सिंह ने यह जमीन उन्हें बेची थी, मगर कब्जा नहीं मिला. बताया गया है कि इस मामले पर सुनवाई करते हुए ग्वालियर की एमपी-एमएलए विशेष न्यायालय ने विधायक अजब सिंह,उनकी पत्नी शीला सिंह और एक अन्य को दो-दो साल की सजा सुनाई. नियमानुसार अगर किसी विधायक को दो साल या उससे अधिक की सजा हो जाती है तो उसकी विधानसभा से सदस्यता तो जाएगी ही साथ में वह छह साल तक चुनाव लड़ने के अयोग्य हो जाएगा. इस फैसले के बाद कांग्रेस विधायक की सदस्यता पर संकट मंडराने लगा था.