सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र फटकारा- भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों को अपनी जेब से दो मुआवजा
नई दिल्ली
भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ित परिवारों को अतिरिक्त मुआवजा देने का मामला हादसे के 39 साल बीत जाने के बाद फिर से सुप्रीम कोर्ट में है। हालांकि कोर्ट ने केंद्र सरकार से साफ कह दिया है कि इतने सालों के बाद मामला फिर से नहीं खोला जा सकता। इसे 'समीक्षा की भी समीक्षा' याचिका के तौर पर नहीं माना जाएगा। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों को मुआवजा देने के लिए दूसरे की तरफ देखना बंद करें और अपनी जेब से मदद करें। सुप्रीम कोर्ट ने अब तक मुआवजा ना मिलने पर नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आखिर केंद्र सरकार मुआवजा देने के लिए यूनियन कार्बाइड कंपनी का क्यों इंतजार कर रही है।
जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ ने केंद्र सरका को लताड़ लगाते हुए कहा, किसी और की जेब से पैसा निकलवाने से ज्यादा आसान अपनी जेब से दे देना है। जनता के हित के लिए काम करने वाले संस्थान के रूप में सरकारकी जिम्मेदारी है कि पहले आपको खुद काम करना है। आप खुद को प्रजापालक भी मानते हैं और फिर कहते हैं, जब मुझे उनसे पैसा मिल जाएगा तब पीड़ितों को दे दिया जाएगा।
बता दें कि केंद्र सरकार ने 2010 में ही सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पेटिशन दाखिल की थी। इसकी सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना, एएस ओका, जस्टिस विक्रम नाथ और जेके माहेश्वरी की बेंच कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्यूरेटिव पेटिशन को लेकर न्यायालय के पास सीमा है और कोर्ट नहीं चाहता है कि मामले को दोबारा खोला जाए। कोर्ट ने कहा, हम कल्पनालोक में नहीं रहते हैं। उस समय सरकार को जो करना चाहिए था किया गया। पीड़ितों तो तत्काल सहायता दीगई। हालांकि सभी विवादों या फिर त्रासदियों का एक अंत समय भी होता है। 1989 में ही सरकार को आदेश दिया गया था। इसके बाद 1991 में रिव्यू पिटिशन पर भी सुनवाई पूरी हो गई। अब क्या हम बार – बार एक ही घाव खोलते रहें?
अटॉर्नी जनरल ने बेंच को बताने की कोशिश की कि केमिकल कंपनी से सरकार अतिरिक्त मुआवजे की मांग कर सकती है। 201- की याचिका में सरकार ने 1989 और 1991 के फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की थी। कहा गया था कि 2-3 दिसंबर 1984 को हुई घटना के लिए यूनियन कार्बाइड कंपनी जिम्मेदार है। इस त्रासदी में कम से कम 5,295 लोगों की मौत हुई थी और 40 हजार से ज्यादा लोग बीमार हो गए थे। अब अटॉर्नी जनरल ने कहा, घटना की भयानकता पर सवाल नहीं उठाए गए हैं। हमारी संवेदना पीड़ितों के साथ है। लेकिन जिम्मेदार कंपनी को फ्री नहीं किया जा सकता।