महंगे कॉटन और मांग में कमी से कपड़ा कारोबार में घटा मुनाफा, नई नौकरियों को भी लग सकता है धक्का
नई दिल्ली
देश में कॉटन की लगातार बढ़ती कीमतों और महंगे कर्ज की वजह से कारोबार में मुनाफे पर दबाव देखने को मिल रहा है। इससे न केवल उनकी क्षमता विस्तार योजनाओं को धक्का लग रहा है बल्कि आने वाले दिनों में इस क्षेत्र की नई नौकरियों को भी धक्का लग सकता है। इक्रा की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक कॉटन के तेजी से बढ़ते दामों और सप्लाई की दिक्कतों की वजह से यार्न का उत्पादन साल दर साल आधार पर 19 फीसदी गिरा है। इसकी वजह से कॉटन यार्न का निर्यात भी 50 फीसदी से ज्यादा गिरा है।
रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में कॉटन यार्न की कीमतों और कॉटन की कमी को देखते हुए बड़े बदलाव आए हैं। माहौल ऐसा हो गया है कि वियतनाम जैसा देश जो कभी निर्यातक हुआ करता था अब इसका बड़े पैमाने पर आयातक बन गया है। वहीं चीन को पीछे छोड़कर बांग्लादेश भारतीय कॉटन यार्न का बड़ा निर्यात बाजार बन गया है।
देश में आपूर्ति का संकट
यही नहीं आने वाले साल में भी इसकी मांग के मुताबिक देश में आपूर्ति का संकट है। देश में लेट मॉनसून की वजह से नवंबर 2022 तक कपास की फसल भी खराब देखने को मिली है। ऐसे में इसके उत्पादन पर भी असर देखने को मिल सकता है। आंकड़ों के मुताबिक कोरोना महामारी के बाद के माहौल में अचानक बढ़ी मांग और दुनियाभर में कमोडिटी की कीमतों में बढ़त के चलते कपास के दाम कैलेंडर वर्ष 2021 और 2022 में एक दशक के उच्च स्तर पर पहुंच गए थे। ये 2022 में 30-50 फीसदी तक बढ़े थे।
इस माहौल में भारतीय उत्पाद दुनियाभर के मुकाबले कम प्रतिस्पर्धी रह सकते हैं। महंगाई को देखते हुए रिजर्व बैंक की तरफ से कई बार ब्याज दरों में इजाफा किया गया, जिससे कारोबारियों की लागत भी बढ़ी है।बजट को लेकर हुई चर्चा के दौरान सरकार से मांग की गई है कि इस क्षेत्र के लिए खास इंसेंटिव दिए जाएं। ऐसे में कारोबारियों को उम्मीद है कि बजट के बाद ही कुछ राहत देखने को मिल सकती है।