अगला आम-बजट कैसा होगा? वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिए ये संकेत
नई दिल्ली
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संकेत दिया कि आगामी बजट सार्वजनिक खर्च के जरिए वृद्धि को बढ़ावा देने पर केंद्रित होगा। अगले बजट में महंगाई पर अंकुश, मांग बढ़ाने, रोजगार सृजन और देश की अर्थव्यवस्था को लगातार आठ फीसदी से अधिक की वृद्धि की राह पर ले जाने के उपायों पर ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने उद्योग मंडल फिक्की के एक कार्यक्रम में यह बात कही। सीतारमण ने कहा कि अगला बजट भी पहले के बजट की तरह ही होगा जो वर्ष 2047 में भारत में रहने वाले बच्चों के लिए देश को तैयार करने का रोडमैप होगा क्योंकि उस समय बच्चे अधिक विकसित भारत में रहने वाले होंगे। सीतारमण अप्रैल से शुरू होने वाले वित्त वर्ष के लिए आम बजट एक फरवरी को पेश करेंगी। यह उनका लगातार पांचवां बजट होगा। कोविड महामारी से उबर रही अर्थव्यवस्था के लिए उन्होंने एक बड़े सार्वजनिक खर्च कार्यक्रम की घोषणा की थी। बजट में वित्त मंत्री ने 2022-23 के लिए पूंजीगत व्यय को 35.4 प्रतिशत बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया था। इससे पिछले साल यह 5.5 लाख करोड़ रुपये था। उल्लेखनीय है कि आम बजट 2023-24 ऐसे समय पेश किया जाना है जबकि कई संस्थानों ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के वृद्धि दर के अनुमान को घटाया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने 2022-23 के लिए भारत के वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है।
वित्त मंत्री ने उद्योग से कहा कि वह विनिर्माण पर ध्यान दे। उन्होंने इन दलीलों को खारिज कर दिया कि भारत को चीन के विनिर्माण आधारित वृद्धि के मॉडल को नहीं अपनाना चाहिए। सीतारमण ने कहा, यदि कुछ इस तरह की आवाजें उठ रही हैं कि भारत को विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए, सिर्फ सेवाओं पर ध्यान देना चाहिए। उनसे मैं कहूंगी कि ऐसा नहीं हो सकता। हम विनिर्माण पर ध्यान दे रहे हैं। हम सेवाओं के नए क्षेत्रों पर ध्यान दे रहे हैं। सीतारमण ने उद्योग से स्टार्टअप इकाइयों के नवोन्मेषण को देखने और उन्हें बढ़ाने के तरीकों पर विचार करने को कहा। उन्होंने उद्योग जगत से कहा कि वह सरकार को बताए कि जलवायु परिवर्तन उन्हें कैसे प्रभावित कर रहा है। साथ ही वे उनकी लागत पर पड़ रहे बोझ को कम करने के उपाय भी सुझाएं।
भारत को मैन्युफैक्चरिंग सेंटर बनाने की तैयारी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उद्योग जगत से कहा किया है कि वह पश्चिम में मंदी की आशंका के बीच ऐसी रणनीति बनाए जिससे विकसित देशों में परिचालन कर रही कंपनियां भारत को एक उत्पादन या खरीद केंद्र के रूप में देख सकें। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत ने विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए काफी सुविधाएं दी हैं और नियमों में बदलाव किया है। इसके अलावा हम उन उद्योगों से भी संपर्क कर रहे हैं जो भारत आना चाहते हैं। सीतारमण ने कहा, आप खुद को पश्चिमी देशों और विकसित दुनिया में मंदी के लिए तैयार कर रहे हैं। मुझे लगता है कि यह आपके लिए वहां काम कर रहे विनिर्माताओं को भारत लाने की रणनीति बनाने को सबसे अच्छा समय है। वित्त मंत्री ने कहा, भले ही उनका मुख्यालय वहां है, लेकिन उनके लिए यह उपयोगी हो सकता है कि वह यहां से कई चीजें खरीदें। कम से कम दुनिया के इस हिस्से के बाजारों के लिए यहां से उत्पादन करें।
मंदी में भारत के लिए अवसर तलाशें
सीतारमण ने कहा कि संभावित मंदी का असर यूरोप पर भी पड़ेगा। इसका सिर्फ भारतीय कंपनियों के निर्यात पर असर नहीं होगा। उन्हों कहा, यह वहां के कई तरह के निवेश को अपने यहां लाने का अवसर देता है। अब वह ऐसे अलग स्थानों की तलाश कर रहे हैं जहां से वह अपनी गतिविधियों को चालू रख सकें। उन्होंने कहा, सरकार अब सिर्फ बात नहीं कर रही है। सरकार इसपर काम कर रही है। कई तरह की सुविधाएं दे रही है और नियमों में बदलाव ला रही है। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उन निवेशकों और उद्योगों के साथ बैठकर बात करें, तो यहां आना चाहते हैं। यानी या तो वे और गंतव्य की तलाश में हैं या पूरी तरह वहां से निकलना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वियतनाम, फिलिपीन और इंडोनेशिया काफी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। भारत के प्रति भी आकर्षण है।