September 25, 2024

पूजा घर में नहीं होना चाहिए दो शिवलिंग व तीन गणेश, जानें क्या कहता है नियम

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 हिंदू घरों में मंदिर होना आम बात है, जिसमें लोग कई देवी-देवताओं की मूर्तियां बड़े चाव से सजाकर रखते हैं. सुबह- शाम उनकी पूजा-अर्चना भी करते हैं, पर कम ही लोग जानते हैं कि घर के मंदिर की मूर्तियों के आकार, रचना व संख्या को लेकर भी वास्तु शास्त्र सहित कई ग्रंथों में कुछ नियम बताए गए हैं. आज हम कुछ प्रमुख नियम आपको बता रहे हैं.

दो शिवलिंग व तीन गणेश अशुभ
घर के मंदिर में कभी भी दो-दो शिवलिंग, शालिग्राम व तीन गणेश मूर्तियां नहीं होनी चाहिए. इस संबंध में आचारेन्दु ने लिखा है कि:—

‘गृहे लिंगद्वयंं नार्च्यं गणेशत्रितयं तथा।
शंखद्वयं तथा सूर्यो नार्च्यौ शक्तित्रयं तथा।।
द्वे चक्रे द्वारकायास्तु शालग्रामशिलाद्वयम।
तेषां तु पूजनेनैव उद्वेगं प्राप्नुयाद् गृही।।’

यानी घर में दो शिवलिंग, तीन गणेश, दो शंख्, दो सूर्य प्रतिमा, तीन देवी प्रतिमा, दो द्वारका के गोमती चक्र और दो शालिग्राम का पूजन नहीं होना चाहिए. ऐसा करने पर घर में अशांति हो सकती है.

घर की मूर्ति की धातु व आकार
कुछ वास्तुशास्त्री घर में पत्थर की मूर्तियों के लिए मना करते हैं, पर वास्तव में पत्थर का उपयोग घर में मूर्ति को छोड़कर अन्य जगह नहीं होने का विधान बताया गया है. यानी घर की मूर्ति पत्थर की हो सकती है, पर वह एक बित्ते यानी हाथ के अंगूठे के सिरे से लेकर कनिष्ठिका उंगली के छोर तक की ऊंचाई तक की होनी चाहिए. इस संबंध में मत्स्य पुराण में लिखा है कि

‘अंगुष्ठपर्वादारभ्य वितस्तिर्यावदेव तु।
गृहेषु प्रतिमा कार्या नाधिका शस्यते बुधै:।।’

वृद्ध पाराशर ग्रंथ के अनुसार पत्थर, काष्ठ यानी लकड़ी, सोना या अन्य धातुओं की मूर्तियों की प्रतिष्ठा घर या मंदिर में करनी चाहिए. घर में एक बित्ते से बड़ी मूर्ति होने पर गृहस्वामी के संतानहीन होने की आशंका रहती है.

पूजा घर की दिशा
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर हमेशा ईशान यानी उत्तर- पूर्व दिशा में होना चाहिए. बेडरूम में तथा रसोई व बाथरूम के पास पूजा घर नहीं होना चाहिए. मंदिर की ऊंचाई इतनी हो कि भगवान के चरण पूजा करने वालों के ह्रदय तक पहुंच सके.

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