महंगाई की मार, कहीं बढ़ न जाए ब्रेड और रस्क की भी कीमत; फैक्ट्री मालिक इस वजह से हैं परेशान
गोरखपुर
मैदा की कीमत में लगातार हो रही बढ़ोतरी से ब्रेड और रस्क बनाने वाली फैक्ट्रियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। छोटी फैक्ट्रियों की कमाई भले न बढ़ी हो लेकिन उत्पादन लागत में डेढ़ से दो लाख रुपये तक की बढ़ोतरी हो गई है। कई ब्रेड फैक्ट्रियां उत्पादन घटाने की तैयारी में हैं। वहीं ब्रेड और रस्क बनाने वाली फैक्ट्रियां एक बार फिर कीमतें बढ़ाने को लेकर लामबंद हो रही हैं।
ब्रेड, रस्क, बेकरी, बिस्किट और केक बनाने वाली फैक्ट्रियों में मैदे का खूब इस्तेमाल होता है। शहर में ब्रेड, रस्क और केक की छोटी बड़ी 100 से अधिक फैक्ट्रियां हैं। छोटी फैक्ट्रियों में भी कम से कम रोज 25 क्विंटल मैदे का इस्तेमाल होता है। वहीं बड़ी फैक्ट्रियों में रोजाना 750 क्विंटल तक मैदे का इस्तेमाल हो रहा है। पिछले एक महीने में मैदे की कीमतों में 100 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हो गई है। ऐसे में छोटी फैक्ट्री संचालित करने वालों की उत्पादन लागत रोज ढाई से पांच हजार रुपये तक बढ़ रही है।
रस्क की फैक्ट्री लगाने वाले रवि त्रिपाठी का कहना है कि ‘पिछले एक महीने में मैदे की कीमतें बढ़ने से उत्पादन लागत डेढ़ लाख रुपये बढ़ गई जबकि कमाई में एक रुपये का इजाफा नहीं हुआ। अभी मार्च तक मैदा की कीमतों में बढ़ोतरी की ही उम्मीद है। ऐसे में बिना कीमतें बढ़ाए प्रोडक्शन चालू रखना मुमकिन नहीं है।’ वहीं बेकरी की फैक्ट्री संचालित करने वाले विवेक कुमार का कहना है कि अन्य फैक्ट्रियों से कीमतें बढ़ाने को लेकर सहमति बनाने का प्रयास हो रहा है। महेवा में थोक कारोबारी मदन अग्रहरि ने बताया कि ‘आटा और मैदा की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। ठंड में मैदा और आटे की मांग बढ़ जाती है। मांग और सप्लाई में असंतुलन से कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है।’
आटा और मैदा लगातार हो रहा महंगा
गेहूं का आटा और मैदा लगातार महंगा हो रहा है। आटे की कीमतें 3250 रुपये से लेकर 4200 रुपये प्रति क्विंटल तक है। 3250 रुपये वाले आटे में से चोकर और दलिया निकाला जाता है। ऐसे में इसका उपयोग होटलों में ही अधिक होता है। रेस्टोरेंट संचालक विशाल श्रीवास्तव का कहना है कि ब्रांड वाला आटा एक महीने में 400 रुपये क्विंटल तक बढ़ गया है। लंबे समय तक रोटी की कीमतों को बढ़ने से नहीं रोका जा सकता है। मैदा भी 3200 से लेकर 4400 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रहा है। किराना कारोबारी वीरेन्द्र मौर्या बताते हैं कि बोरे और पैकेट वाले मैदे की की कीमतों में प्रति किलो आठ रुपये तक का अंतर है।
पास्ता, मैकरोनी और सेवई की कीमतें भी बढ़ीं
कीमतों का असर पास्ता, मैकरोनी से लेकर सेवई की कीमतों पर भी दिखने लगा है। चैम्बर ऑफ ट्रेडर्स के अध्यक्ष अनूप किशोर अग्रवाल का कहना है कि गनीमत यह है कि अभी होली के माल की मांग नहीं है। मांग कम होने से कीमतों में मामूली बढ़ोतरी है। विवाह को लेकर मांग बढ़ेगी तो पास्ता, मैकरोनी, सेवई से लेकर चाउमीन तक की कीमतों में इजाफा संभव है।