पहले इमरान मसूद BSP में गए अब शफीकुर्रहमान ने की मायावती की तारीफ, क्या बदलेगा मुस्लिम वोट का समीकरण?
लखनऊ
तीन महीने पहले समाजवादी पार्टी (सपा) छोड़ बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में शामिल हुए पूर्व विधायक इमरान मसूद के मूव को वेस्ट यूपी की मुस्लिम पॉलिटिक्स में मायावती की बड़ी बढ़त के रूप में देखा जा रहा था। अब अचानक से संभल से सपा सांसद डॉ.शफीकुर्रहमान बर्क बसपा सुप्रीमो मायावती की तारीफ करने लगे हैं। इसे लेकर यूपी के राजनीतिक गलियारों में नए सिरे से चर्चा शुरू हो गई कि क्या अब तक समाजवादी पार्टी के पक्ष में लामबंद यूपी के मुस्लिम वोटों का समीकरण बदल सकता है? यूपी के पिछले विधानसभा चुनाव के बाद बसपा सु्प्रीमो मायावती लगातार इसकी कोशिश भी कर रही हैं।
विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट जीत सकने के बाद अपने पहले संदेश में ही मायावती ने स्पष्ट कहा था कि उनकी हार इस वजह से हुई क्योंकि मुस्लिम समाज ने एकतरफा समाजवादी पार्टी को वोट दिए। इससे हिन्दू वोटों का भाजपा के पक्ष में ध्रुवीकरण हो गया। चुनाव नतीजे सामने आने के बाद से ही मायावती यह संदेश देने में जुटी हैं कि यूपी में भाजपा का मुकाबला सिर्फ बसपा ही कर सकती है। इसके साथ ही वह सपा के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने का कोई मौका नहीं चूक रही हैं। फिर चाहे वो आजम खान के समर्थन में बयान देने का मसला हो या प्रयागराज में बाहुबली अतीक के परिवार को बसपा में शामिल कराने का।
मायावती का संदेश स्पष्ट है। वह बसपा में लगातार मुस्लिम समाज के नेताओं का स्वागत कर रही हैं। पूर्व विधायक इमरान मसूद को पार्टी ज्वाइन करते ही उन्हें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चार मंडलों के साथ ही उत्तराखंड का संयोजक बना दिए जाने के पीछे मायावती की यही रणनीति मानी गई। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मसूद सपा में अपनी उपेक्षा को लेकर नाराज थे। वह कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और दिल्ली प्रभारी का पद छोड़कर सपा में शामिल हुए थे लेकिन सपा में उन्हें वह स्थान नहीं मिल रहा था जिसका हकदार वह खुद को मानते थे। बसपा नेताओं ने मसूद की नाराजगी का फायदा उठाने की सटीक रणनीति बनाई। पहले उनकी मुलाकात बसपा सु्प्रीमो से कराई फिर उनके बसपा ज्वाइन करने का सार्वजनिक ऐलान हो गया। पार्टी ज्वाइन करने के बाद मसूद जब लखनऊ में पार्टी की बैठक में गए तो उन्हें पहली पंक्ति में स्थान देकर बड़ा संकेत दिया गया। इमरान मसूद को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मेरठ, बरेली और मुरादाबाद मंडल का संयोजक बनाने के साथ ही उत्तराखंड का भी संयोजक बनाया गया है।
शफीकुर्रहमान के तारीफ करने का क्या हो सकता है मकसद?
अब संभल से समाजवादी पार्टी सांसद डॉ.शफीकुर्रहमान बर्क ने जिस तरह मायावती की तारीफ की है उसके राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। दरअसल अपने बर्थडे पर मायावती ने अगले चुनावों में अकेले लड़ने का ऐलान किया था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बर्क ने मायावती को देश की जरूरत बताते हुए कहा कि उन्होंने अपनी कौम के लिए बहुत काम किया है। बहैसियत मुसलमान के हम भी उन्हें सपोर्ट करते हैं। शफीकुर्रहमान ने यह भी कहा कि मैं भी बसपा में रह चुका हूं। तब मैं चुनाव जीता था और सपा हार गई थी। उन्होंने कहा कि मायावती ने अपनी बिरादरी के लिए काफी काम किया है। मायावती एक शख्सियत हैं। देश को उनकी जरूरत है। ओबीसी पर जुल्म ज्यादती रोकने के लिए मायावती की जरूरत है।
क्या सपा से नाराज हैं बर्क?
समाजवादी पार्टी के चर्चित सांसदों में से एक और हमेशा विवादों में रहने वाले शफीकुर्रहमान क्या अपनी पार्टी से नाराज हैं? इस आशंका से इत्तेफाक रखने वाले राजनीतिक जानकारों का कहना है उनकी नाराजगी की वजह शायद यह हो सकती है कि अखिलेश यादव ने उनकी जगह सांसद डॉ.एस.टी.हसन को लोकसभा में सपा का नेता सदन बना दिया। जबकि डॉ.एस.टी हसन पहली बार सांसद बने हैं और बर्क कई बार से सांसद हैं। बर्क उत्तर प्रदेश के मंत्री भी रह चुके हैं। हो सकता है कि इतना सीनियर होने के बावजूद उनकी जगह डॉ.एस.टी.हसन को पार्टी का नेता बना दिया जाना बर्क को बुरा लगा हो। इसी वजह से वह एक बार फिर बसपा में जाने का मन बना रहे हों। जानकारों का कहना है कि बर्क यदि बसपा में जाते हैं तो यह वेस्ट यूपी में मायावती की एक और बढ़त के तौर पर देखा जाएगा। वहीं बसपा को एक और बड़ा मुस्लिम चेहरा मिल जाएगा।