क्या है KCR का खम्मम प्लान? कांग्रेस के गढ़ में BRS संग अखिलेश और केजरीवाल
नई दिल्ली
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव बुधवार को महा रैली करने जा रहे हैं। विपक्षी एकता और राष्ट्रीय राजनीति के लिहाज से अहम मानी जा रही है इस रैली में आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल समेत कई बड़े नेता शामिल हो सकते हैं। खास बात है कि 'भारत राष्ट्र समिति' का यह पहला बड़ा आयोजन है। कहा जा रहा है कि इसके जरिए केसीआर 2023 के लिए चुनावी बिगुल फूंकने की तैयारी कर रहे हैं।
क्यों अहम है केसीआर की रैली?
तेलंगाना सीएम की यह रैली कई कारणों से अहम मानी जा रही है। पहला, राष्ट्रीय राजनीति की ओर देख रहे केसीआर के लिए शक्ति प्रदर्शन का मौका होगा। दूसरा, यह टीआरएस के बीआरएस में बदलने के बाद पहली बड़ी रैली होगी। तीसरा, इसके जरिए केसीआर देश में विपक्षी एकता की तस्वीर पेश करने जा रहे हैं। क्योंकि सियासी कार्यक्रम में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, पंजाब सीएम भगवंत मान, केरल सीएम पिनराई विजयन, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव समेत कई नेता शामिल होंगे।
खम्मम ही क्यों?
केसीआर की तरफ से खम्मम को चुने जाने पर सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई थीं। कहा जा रहा है कि इसकी वजह जिले की आंध्र प्रदेश से सटी सीमा हो सकती है। राज्य के कई लोग खम्मम में रहते हैं। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि सीएम केसीआर एक बार में तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के लोगों तक विस्तार करना चाहते हैं।
वामपंथियों का गढ़ है खम्मम
तेलंगाना के खम्मम को कांग्रेस और वामपंथियों का गढ़ माना जाता है। खास बात है कि हाल ही में संपन्न हुए मुनुगोडे उपचुनाव में वामपंथियों ने केसीआर की पार्टी को समर्थन दिया था। कांग्रेस विधायक के इस्तीफे से खाली हुई सीट पर उपचुनाव हुए थे, जहां टीआरएस ने जीत हासिल की थी। जबकि, कांग्रेस तीसरे स्थान पर खिसक गई थी। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि भारत राष्ट्र समिति के इस बड़े कार्यक्रम में करीब 2 लाख लोग शामिल हो सकते हैं।
राज्यों में विस्तार की तैयारी
एजेंसी के अनुसार, केसीआर कम से कम आठ राज्यों में बीआरएस का विस्तार जल्द करेंगे। मुख्य रूप से, वह कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, हिमाचल और उत्तराखंड में अपने संगठन का विस्तार करेंगे। इस रैली में केसीआर अपने 'नेशनल गेमप्लान' का खुलासा करेंगे। यह रैली समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों द्वारा राष्ट्रीय एजेंडे पर चलने का संयुक्त शक्ति प्रदर्शन होगा।