इंद्रावती नदी पर पुल का विरोध, 25 गांवों के लोग 2 राज्यों की सीमा पर जुटे
गढ़चिरौली
गढ़चिरौली के इंद्रावती नदी पर बन रहे पुल का विरोध तेज हो गया है। महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ बॉर्डर के पास रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोगों ने इस पुल का विरोध करते हुए इसे जल, जंगल और जमीन की लूट करार दिया है। छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोग पिछले 14 दिनों से राज्य की सीमा के पास प्रदर्शन कर रहे हैं। ये आदिवासी यही पर डटे हुए हैं। एक आदिवासी नेता लालसु नगोती ने मीडिया न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के करीब 20-25 गांवों के लोग यहां मौजूद हैं। आजादी के 75 साल के बाद भी हमें आधारभूत सुविधाएं तक नहीं मिली हैं। इन तरह की पुलों के जरिए सिर्फ जल, जंगल और जमीन की लूट को बढ़ावा दिया जा रहा है।
न्यूज एजेंसी एएनआई ने जो तस्वीरें ट्वीट की हैं उनमें नजर आ रहा है कि कई लोग इस सीमावर्ती इलाके में मौजूद हैं। इन लोगों के हाथ में बैनर है। इस बैनर पर लिखा गया है कि ग्राम सभा की अनुमति के बिना गांव पर हमला बंद करो। गांव में घुसना बंद करो। तस्वीरों को देखने से ऐसा लगता है कि यह आदिवासी यहां अपनी लड़ाई जारी रखने के मूड में जुटे हैं। कुछ महिलाएं वहां चूल्हे पर खाना बनाती भी नजर आ रही हैं।
एजेंसी के मुताबिक, इट्टापल्ली के असिस्टेंट कलेक्टर ने बातचीत में कहा है कि जहां तक मुझे जानकारी है इस पुल का निर्माण छत्तीसगढ़ के क्षेत्र में हो रहा है। मैं नहीं सोचता कि इस निर्माण कार्य को रोकना ठीक है। हम लोगों से बातचीत करेंगे और उन्हें यह बताएंगे कि यह पुल क्यों जरूरी है।
बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा से पर स्थित भामरागड़ तहसील के कवंडे गांव से सटे इंद्रावती नदी पर इस पुल का निर्माण कार्य होना है। यह एक अंतरराज्यीय पुल होगा। कवंडे गांव से सटे इंद्रावती नदी के पास छत्तीसगढ़ राज्य का बीजापुर जिला पड़ता है। यह परिसर अबुझमाड़ जंगल से भी सटा हुआ है और यह नक्सली गतिविधियों के लिहाज से भी संवेदनशील माना जाता है। विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि पुल के निर्माण से खनिज संपदा नष्ट होगी। यहां आदिवासी बीते 4 जनवरी से लगातार पुल निर्माण का विरोध कर रहे हैं।