October 1, 2024

ग्रेटर नोएडा में होगा 72 हजार करोड़ से ज्यादा का निवेश, इन्वेस्टर्स समिट से पहले एमओयू फाइनल

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यूपी  

उत्तर प्रदेश में अपने उद्योग धंधे लगाने के इच्छुक निवेशकों के लिए ग्रेटर नोएडा सबसे पसंदीदा निवेश स्थल बन गया है। यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट  से एक माह पहले ही  (10 जनवरी  तक) ही ग्रेटर नोएडा ने 72 हजार करोड़ से ज्यादा के एमओयू को फाइनल कर दिये हैं। 

बिल्डर और औद्योगिक श्रेणी में सबसे ज्यादा निवेश
 सबसे ज्यादा 40 एमओयू बिल्डर श्रेणी में हुए। इसके चलते  प्राधिकरण ने 26 हजार करोड़ से ज्यादा का निवेश जुटाया। वहीं 22 हजार करोड़ से ज्यादा के 23 एमओयू औद्योगिक श्रेणी में हुए। 9 हजार करोड़ से ज्यादा के 17 एमओयू वाणिज्यिक श्रेणी में और 10 हजार करोड़ से ज्यादा के 7 एमओयू आईटी/आईटीईएस में किए गए। इसके अलावा अन्य श्रेणियों में भी करीब 4 हजार करोड़ के एमओयू किए गए हैं। विभिन्न कंपनियों ने यहां लॉजिस्टिक समेत अन्य सेक्टर में निवेश में रुचि दिखाई है। 

बेहतर रणनीति से लक्ष्य की ओर बढ़ा जीनीडा
ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के प्रत्येक विभाग (भूमि उपयोग) को  निवेश सारथी पोर्टल पर निवेश के इंटेंट दर्ज करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। यही नहीं, नए मैप की मंजूरी और एफएआर में वृद्धि के लिए आवेदन करने वाले मौजूदा निवेशकों से संपर्क किया गया और उन्हें निवेश के इंटेंट दर्ज करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। प्रत्येक विभाग को प्राधिकरण में इंटेंट दाखिल करने में संभावित निवेशकों की सुविधा और मदद करने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। सभी विभागों को साप्ताहिक लक्ष्य दिए गए और प्रगति की समीक्षा द्विसाप्ताहिक आधार पर की गई।

निवेशकों को बनाया विभाग का ब्रांड एंबेसडर
5 जनवरी को प्राधिकरण में ग्रेटर नोएडा के प्रमुख निवेशकों के साथ एक बैठक  में सीईओ रितु माहेश्वरी ने इन निवेशकों से ग्रेटर नोएडा के ब्रांड एंबेसडर बनने का अनुरोध किया। कुछ निवेशकों ने भवन निर्माण को पूरा करने के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाने, सुव्यवस्थित करने और तेजी से ट्रैक करने का अनुरोध किया। निर्धारित समय सीमा के भीतर परियोजना को पूरा करने को सुनिश्चित करने के लिए समय विस्तार पेनाल्टी और नियमों और शर्तों में छूट की मांग की गई थी। सीईओ ने कहा कि  गंभीर निवेशक नीलामी में भाग लें और क्षेत्र के समग्र विकास और रोजगार सृजन के लिए भूमि पार्सल का विकास करें। बैठक में औद्योगिक क्षेत्रों में सुरक्षा उपायों में वृद्धि (जैसे पुलिस चौकियों में वृद्धि) की सामूहिक मांग की गई।
 

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