पद्मश्री बारले से लेकर बंजारे तक के शानदार पंथी नृत्य और पिरामिड ने रोमांचित किया दर्शकों को
बलौदाबाजार
गुरु घासीदास एवं महंत नयन दास महिलांग विकास समिति बलौदा बाजार के सहयोग से छत्तीसगढ़ आदिवासी लोक कला अकादमी का पंथी नृत्य समारोह महंत नयनदास स्मृति स्थल गार्डन चौक बलौदा बाजार में 16 जनवरी सोमवार की शाम आयोजित किया गया। प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से आए ख्यातिलब्ध पंथी नर्तकों ने बाबा घासीदास को समर्पित द्रुत गति का नृत्य शुरू किया तो दर्शक देखते ही रह गए।
मृदंग एवं झांझ की लय पर कलाकारों ने विभिन्न पदों को गाते हुए नृत्य किया। इस दौरान आकर्षक पिरामिड भी इन कलाकारों ने बनाया, जिसमें इनका संतुलन व नृत्य कौशल देखकर लोग दंग रह गए। आयोजन में पद्मश्री डॉ. राधेश्याम बारले भिलाई ने अपने समूह के साथ प्रस्तुति दी। उनके गाये हुए पद के बोल थे- चंदा सूरुज जइसे करबे अंजोर, गांव गली खार म चिन्हा गड़े तोर। पंथी गुरू रहे स्व. देवदास बंजारे की विरासत संभाल रहे दुर्ग जिले के ग्राम धनोरा निवासी उनके सुपुत्र दिलीप बंजारे ने शानदार पंथी नृत्य की प्रस्तुति दी।
उन्होंने अपने पिता स्व. बंजारे द्वारा अक्सर गायी जाने वाली पंक्तियों ये माटी के काया-ये माटी के चोला पर लय व ताल के साथ झूम कर नृत्य किया। दिनेश जांगिड़ एवं साथी कुटेश्वर सन्ना ना ना ना मरे के साथ अपनी प्रस्तुति दी। भूपेंद्र चाणक्य एवं साथी तवेरा ने कइसे रच डारे जगत के रचैया, ये जग तो बड़ा भूल भुलैया पर पंथी नृत्य की प्रस्तुति दी। कुमारी गायत्री सोनवानी रायपुर के समूह ने बाबा जी के सुमरनी चंदन मिट्टी गिरौदपुरी धाम के पर पंथी नृत्य किया।
गोकर्ण दास बघेल पेंड्रीतराई ने कहां ले जोगी आए हैं अंगना में मोर, कहां ले साधु आए हैं देहरी म मोर पर पंथी नृत्य प्रस्तुत किया। इसी तरह लोकनाथ बर्मन एवं साथी ने ये गुरु हो बाबा ये घासी हो बाबा, सत का रस्ता बताए हो पर, किशुन पाटले एवं साथी ने नेवता म आबे, पान सुपाड़ी नारियल पाबे पर, राजेंद्र टंडन बरदुली ने चरणों में बाबा गंगा बहे तो पर, सरोज बाला पाहीत ने बाबा घासीदास के महिमा पर, जरवाय के मिलाप दास बंजारे ने सतनाम सतनाम के दियना ना जलावव बाबा तोरे नाम पर और रोहित कोसरिया ने सतनाम के दिया जलाके पर अपना पंथी नृत्य बाबा घासीदास को समर्पित किया।