October 1, 2024

आरोप पर जवाब देने के लिए खेल मंत्रालय ने कुश्ती संघ को 72 घंटे का समय दिया

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नईदिल्ली

दिल्ली के जंतर-मंतर से बुधवार को ऐसी तस्वीर सामने आई, जिसने सभी को चौंका दिया. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बडे़ बड़े पहलवानों को पटखनी देने वाले करीब 30 रेसलर धरना देने के लिए जुटे. प्रदर्शन कर रहे पहलवानों के आंखों में आंसू थे, तो चेहरे पर नाराजगी. पहलवानों के पास महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न, अभद्रता, क्षेत्रवाद जैसे गंभीर आरोपों की लंबी लिस्ट थी. इन पहलवानों ने कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला है. प्रदर्शन करने वाले पहलवानों में ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक, विनेश फोगाट, सरिता मोर और सुमित मलिक जैसे बड़े नाम शामिल हैं. उधर, बृजभूषण शरण का कहना है कि पहलवानों के आरोप सही हुए तो वे फांसी पर लटकने के लिए तैयार हैं. आईए जानते हैं कि आखिर ये पूरा मामला क्या है और प्रदर्शन करने वाले पहलवानों के क्या क्या आरोप हैं?

भारतीय कुश्ती महासंघ (Wrestling Federation of India-WIFI) नया अखाड़ा बन गया. जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे पहलवानों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह और कुछ कोच पर महिला रेसलर्स के यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए. साथ ही महासंघ के कामकाज पर भी सवाल उठाए. पहलवानों ने आरोप लगाया कि कुश्ती महासंघ नए नए नियम बनाकर खिलाड़ियों का उत्पीड़न करता है.

खेल मंत्रालय और महिला आयोग ने लिया संज्ञान
स मामले पर संज्ञान लेते हुए खेल मंत्रालय ने कुश्ती महासंघ से 72 घंटे के भीतर आरोपों पर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. मंत्रालय का कहना है कि यह मामला एथलीटों की भलाई से जुड़ा है, ऐसे में मंत्रालय ने इसे गंभीरता से लिया है. इतना ही नहीं मंत्रालय ने 18 जनवरी से लखनऊ में होने वाले वूमन नेशनल रेसलिंग कैंप को भी रद्द कर दिया है. इसमें 41 रेसलर्स, 13 कोच और सपोर्ट स्टाफ को शामिल होना था. उधर, दिल्ली महिला आयोग ने भी इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया है.

आरोप लगाने वाले करीब 30 पहलवानों में ये बड़े नाम शामिल

बजरंग पूनिया- टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता हैं. उन्होंने कॉमनवेल्थ 2022 में गोल्ड जीता था. बजरंग पूनिया कॉमनवेल्थ गेम्स में 2 गोल्ड समेत तीन मेडल जीत चुके हैं. पूनिया वर्ल्ड रेसलिंग चैम्पियनशिप में चार मेडल जीत चुके हैं. बजरंग ने 2013 और 2019 के चैम्पियनशिप में भी ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया था. वहीं 2018 के वर्ल्ड चैम्पियनशिप में वह सिल्वर मेडल जीतने में सफल रहे थे.

साक्षी मलिक- रियो ओलंपिक पदक विजेता हैं. साल 2014 में हुए ग्लासगो कॉमनवेल्थ खेलों में 58 किग्रा वर्ग में साक्षी ने रजत पदक जीता था. साक्षी ने इसके बाद साल 2015 में दोहा में हुई सीनियर एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में 60 किग्रा में कांस्य पदक जीता था.

विनेश फोगाट- एशियाड और विश्व कुश्ती चैंपियनशिप विजेता हैं. वे हरियाणा के भिवानी जिले से आती हैं. एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली विनेश फोगाट पहली महिला भारतीय पहलवान हैं. वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीत कर इतिहास रचा था.

रेसलर्स ने क्या क्या आरोप लगाए?

विनेश फोगाट: भारत के लिए कई मेडल लाने वाली विनेश फोगाट की आंखों से आंसू तक गिरने लगे. उन्होंने कहा कि वो अकेली नहीं, बल्कि भारत की और भी महिला पहलवान हैं जो कुश्ती संघ के सर्वेसर्वा ब्रजभूषण शरण सिंह और उनके संघ से जुड़े कोच-रेफरी के हाथों प्रताड़ित हुई हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि वे खुद यौन उत्पीड़न का शिकार नहीं हुई हैं. उन्होंने कहा- मैं महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के 10-20 केसों के बारे में जानती हूं. नाम नहीं ले सकती हूं, जो खुद सामने नहीं आएंगे, उनकी लाइफ डैंजेर जोन में नहीं डालूंगी. बहुत कोच और रेफरी हैं जो कर रहे हैं ये सब. जब हाई कोर्ट हमें निर्देश देगा तब हम सभी सबूत पेश करेंगे. हम पीएम को भी सभी सबूत सौंपने को तैयार हैं. जब तक दोषियों को सजा नहीं मिलती हम धरने पर बैठेंगे. किसी भी इवेंट में कोई एथलीट हिस्सा नहीं लेगा.
 

साक्षी मलिक ने कहा कि जो विनेश ने बताया वो सही है. कैसे हुआ. कब हुआ, सब बताएंगे. जब एक खिलाड़ी एक दिन भी छोड़ता है तो उसे बहुत ज्यादा नुकसान होता है. पूरे फेडरेशन को हटा देना चाहिए ताकि नए पहलवानों का भविष्य सुरक्षित रहे. एक नया संघ अस्तित्व में आना चाहिए. निचले स्तर से गंदगी फैली हुई है. हम पीएम और गृह मंत्री से बात करेंगे और पूरे मसले पर जानकारी देंगे. कुछ मामलों में जांच होनी चाहिए. – ओलंपिक पदक विजेता पहलवान बजरंग पुनिया ने कहा कि यहां की लड़कियां सम्मानित परिवारों से हैं. अगर हमारी बहन-बेटियां यहां सुरक्षित नहीं हैं तो हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते. हम मांग करते हैं कि महासंघ को बदला जाए.

बजरंग पूनिया ने कहा, यहां की लड़कियां सम्मानित परिवारों से हैं. अगर हमारी बहन-बेटियां यहां सुरक्षित नहीं हैं तो हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते. हम मांग करते हैं कि महासंघ को बदला जाए. उन्होंने इससे पहले ट्वीट कर कहा, फेडरेशन का काम खिलाड़ियों का साथ देना, उनकी खेल की जरूरतों का ध्यान रखना होता है. कोई समस्या हो तो उसका निदान करना होता है लेकिन अगर फेडरेशन ही समस्या खड़ी करे तो क्या किया जाए?

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