September 23, 2024

रामायण को यदि सरकार राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित कर दे तो शीघ्र ही भारत विश्व गुरु बन जायेगी : पंडित धीरेन्द्रकृष्ण शास्त्री

0

रायपुर

श्री हनुमान मंदिर मैदान गुढिय़ारी के दही हाण्डी मैदान में श्रीराम कथा के दौरान बागेश्वरधाम से पधारे आचार्य श्री धीरेन्द्रकृष्ण शास्त्री ने भाग्य के प्रकार, सीता माता के प्रकट होने सहित अनेक धार्मिक प्रसंगों को सुनाया। इस दौरान वे हनुमान जी अपनी तंगहाली एवं इसी परेशानी की स्थिति में भगवान श्री हनुमान जी का उन्हें दिव्य दर्शन भी हुआ था। इस प्रसंग पर वे भावुक हो उठे थे। उन्होंने कहा कि रामायण को यदि सरकार राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित कर दे तो शीघ्र ही भारत विश्व गुरु बन जायेगी।

कथा का आरंभ श्री बागेश्वरधाम के हनुमान जी की आरती से आयोजक ओमप्रकाश मिश्रा परिवार, भाजपा अध्यक्ष अरुण साव एवं समिति के प्रमुख पदाधिकारियों ने किया। महाराजश्री ने अपने उदबोधन में छत्तीसगढ़ी बोलकर श्रोताओं का दिल जीत लिया। उन्होंने छत्तीसगढ़ को राममय बनाने के लिये आयोजक ओमप्रकाश मिश्रा की सराहना की। कथा को आगे बढ़ाते हुए महाराजश्री ने कहा कि प्रभु श्रीराम के राजतिलक पश्चात सभी वानरों प्रभु श्रीराम ने विदा कर दिया परंतु हनुमान जी वहीं रुके रहे। इस पर सभी परिजन एक-दूसरे को श्री हनुमान जी को वापस जाने के लिये बोलने लगे परंतु श्री हनुमान जी का माता सीता पर अशोक वाटिक में प्रभु श्रीराम का संदेश पहुंचाने, लक्ष्मण जी पर संजीवनी बुटी लाने के लिये, 14 वर्ष इंतजार के बाद भरत द्वारा शरीर त्यागने का विचार आने पर श्रीराम के आगमन का संदेश देने का रिण था, अहसान था, अत: संकोचवश कोई भी नहीं बोल पा रहा था।

महाराजश्री ने भाग्य के प्रकार बताते हुए कहा बड़ भागी, अति बड़ भागी, अतिशय बड़ भागी, परम बड़ भागी, सम बड़ भागी को विस्तार से बताया एवम् जटायु तथा हनुमान जी की सेवा का स्मरण किया। माता पार्वती के खिलौना बेचने वाली का रुप लेकर भगवान श्रीराम के चारों भाईयों का दर्शन करने एवम् भगवान भोलेनाथ जी के वानर रुप से दर्शन करने जाने का प्रसंग महाराजश्री ने सुनाया।

महाराजश्री ने अपने जीवन की सत्य घटना भी श्रद्धालुओं को बताई की किस प्रकार वे बागेश्वरधाम के हनुमान जी की सेवा, भजन, भंडारे आदि का संकल्प बिना धन के ही ले लेते थे परंतु उधार की चिंता उन्हें सताती थी पर हनुमान जी की कृपा से सारी व्यवस्था हो जाती थी। अपनी तंगहाली एवं इसी परेशानी की स्थिति में भगवान श्री हनुमान जी का उन्हें दिव्य दर्शन भी हुआ था। इस प्रसंग को बताते हुए महाराजश्री बहुत ही भावुक हो उठे थे। उन्होंने सुमति-कुमति प्रसंग बताया। राजा जनक एवं रानी सुनयना को किस प्रकार धरती पर हल चलाते हुए सीता जी प्रकट हुईं इसका विस्तार से कथा में वर्णन किया। भगवान शंकर के धनुष को जिसे पराक्रमी भी नहीं उठा सकते थे उसे आसानी से उठाते देख राजा जनक जान गये थे कि सीता जी जगत जननी माता हैं। महाराजश्री ने कहा कि रामायण को यदि सरकार राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित कर दे तो शीघ्र ही भारत विश्व गुरु बन जायेगी। श्रीराम कथा में महाराजश्री ने तुलसीदास के अनेक दोहा, चौपाईयों को बोलते हुए उसे विस्तार से समझाया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *