हिन्दू धर्म में तिलक का क्या है महत्व,वैष्णव, शैव और ब्रह्म तिलक क्या है जानें
तिलक लगाना हिंदू परंपरा का एक विशेष अंग है. सभी प्रकार के पूजा-पाठ, यज्ञ और अनुष्ठानों में तिलक लगाए जाते हैं. इसके अलावा किसी शुभ कार्य के लिए घर से बाहर जाने से पहले भी तिलक लगाने का महत्व है. हिंदू धर्म में केवल माथे पर ही नहीं बल्कि कंठ,नाभि, पीठ, भुजाओं पर भी तिलक लगाए जाते हैं.
हालांकि मस्तक के अलावा अन्य कहीं भी तिलक लगाने की परंपरा तभी होती जब व्यक्ति दीक्षित हो. यानी विभिन्न तरह के तिलक इस बात पर निर्भर करते हैं कि व्यक्ति का संबंध किस संप्रदाय से हैं.
तिलक लगाने से ग्रहों की ऊर्जा संतुलित होती है और मन शांत व एकाग्र रहता है. तिलक के प्रकार की बात की जाए तो, तिलक कितने प्रकार के होते हैं, इसे लेकर कोई सीमित संख्या तो नहीं है, लेकिन मुख्यत: तीन तरह के तिलक होते हैं, जिन्हें वैष्णव तिलक, शैव तिलक और ब्रह्म तिलक कहा जाता है. जानते हैं इन तीनों तरह के तिलक से जुड़े महत्व के बारे में.
वैष्णव तिलक– वैष्णव तिलक ऐसे लोग लगाते हैं, जो भगवान विष्णु के अनुयायी माने जाते हैं. या फिर भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्रीकृष्ण, भगवान राम, भगवान नृसिंह, वानम देव आदि की पूजा करते हैं. वैष्णव तिलक पीले रंग के गोपी चंदन से लगाया जाता है.
शैव तिलक- वैसे तो लोग भगवान शिव के उपासक होते हैं वे शैव तिलक को लगाते हैं. ऐसे लोग भगवान भोलेनाथ की पूजा-पाठ करने वाले सात्विक गृहस्थी लेकर तांत्रित भी हो सकते हैं. ये त्रिपुंड धारण करते हैं. शैव तिलक काले या फिर लाल रंग का होता है. इसे रोली तिलक भी कहा जाता है.
ब्रह्म तिलक- ब्रह्म तिलक को आमतौर पर मंदिर के पुजारी और ब्राह्मण लगाते हैं. साथ ही ऐसे लोग ब्रह्म देव की पूजा करने वाले गृहस्थी भी ऐसे तिलक लगाते हैं. ब्रह्म तिलक सफेद रंग की रोली से लगाया जाता है.
तिलक लगाने के क्या है नियम
- कभी भी बिना नहाए तिलक नहीं लगाना चाहिए.
- हिंदू धर्म में तिलक लगाकर सोना वर्जित माना जाता है.
- खुद को तिलक लगाने से पहले अपने हमेशा अपने इष्ट देव या भगवान को तिलक लगाएं.
- जब आप खुद को तिलक लगा रहे हैं तो अनामिका ऊंगली से तिलक लगाएं, वहीं यदि आप किसी दूसरे के माथे पर तिलक लगा रहे हों तो अंगूठे से तिलक लगाएं.