November 25, 2024

भारतीय अर्थव्यवस्था 2023 में 3,700 अरब डॉलर की होगी: आरबीआई

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मुंबई
 देश की अर्थव्यवस्था 2023 तक 3,700 अरब डॉलर की होगी और यह पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में ब्रिटेन से आगे बना रहेगा। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बृहस्पतिवार को जारी एक लेख में यह कहा गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि वृहत आर्थिक मोर्चे पर स्थिरता मजबूत बनी हुई है। आरबीआई के जनवरी बुलेटिन में प्रकाशित ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति' शीर्षक से जारी लेख में कहा गया है कि जो हाल के आंकड़े हैं, वह बताते हैं कि मौद्रिक नीति का मुद्रास्फीति को संतोषजनक दायरे में लाने का जो पहला लक्ष्य था, उसे हासिल कर लिया गया है। यह पहली उपलब्धि रही। 
 
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देबव्रत पात्रा की अगुवाई वाली टीम के इस लेख में कहा गया है कि 2023 में लक्ष्य मुद्रास्फीति को काबू में लाना है ताकि 2024 तक यह लक्ष्य के अनुसार रहे और यह दूसरी उपलब्धि होगी। इसमें कहा गया है, ‘‘मौजूदा मूल्य और विनिमय दरों पर देश की अर्थव्यवस्था 2023 में 3,700 अरब डॉलर की होगी। साथ ही भारत दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में ब्रिटेन से बढ़त बनाए रखेगा।'' अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के आकलन के अनुसार, भारत 2025 तक चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तथा 2027 तक 5,400 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ तीसरे स्थान पर होगा। 

लेख में कहा गया है कि उभरते हुए बाजार बीते साल की तुलना में अधिक मजबूत दिखाई दे रहे हैं लेकिन 2023 में उनका सबसे बड़ा जोखिम अमेरिकी मौद्रिक नीति और अमेरिकी डॉलर से जुड़ा है। आरबीआई के लेख के अनुसार, ‘‘भारत में जिंसों के दाम में नरमी और अन्य लागत कम होने से कंपनियों का प्रदर्शन सुधरा है।'' केंद्रीय बैंक ने यह साफ तौर पर कहा है कि लेख में जो विचार हैं, वे लेखकों के हैं और वह आरबीआई के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है। लेख में कहा गया है कि जो आंकड़े हैं, उससे पता चलता है कि वृहत आर्थिक स्थिरता सुदृढ़ हुई है। 

मुद्रास्फीति को संतोषजनक दायरे में लाने का मौद्रिक नीति का जो लक्ष्य था, उसमें वह सफल रही है। इसके अनुसार, केंद्र और राज्यों के स्तर पर राजकोषीय मजबूती जारी है। साथ ही प्रमुख संकेतकों के आधार पर चालू खाते का घाटा 2022 की बची अवधि और 2023 में कम होने की ओर बढ़ रहा है। उल्लेखनीय है कि व्यापार घाटा बढ़ने से 2022-23 की दूसरी तिमाही में चालू खाते का घाटा (कैड) जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 4.4 प्रतिशत पर पहुंच गया। वहीं सीमा शुल्क के आंकड़ों के आधार पर अप्रैल-जून तिमाही के लिए कैड को संशोधित कर 2.8 प्रतिशत से 2.2 प्रतिशत कर दिया गया है। 
 

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