16 वर्षों तक चलती है गुरु की महादशा, इन लोगों को दिलाते हैं तरक्की व धन-दौलत
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में मौजूद नवग्रहों का संबंध राशि चक्र की 12 राशियों से होता है. इन ग्रहों की चाल, उनका राशि परिवर्तन, ग्रहों की महादशा, अंतर्दशा, ग्रह का गोचर आदि गतिविधियों का हर राशि पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह का प्रभाव देखने को मिलता है. यदि किसी ग्रह की स्थिति शुभ है तो जातक को उसके कई लाभ प्राप्त होते हैं. आज के इस आर्टिकल में देवगुरु बृहस्पति की महादशा के बारे में जानेंगे. जिसका प्रभाव 16 वर्ष तक रहता है. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं
गुरु की महादशा का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन जातकों की कुंडली में गुरु की महादशा चल रही होती है, वह मानसिक रूप से शांति का अनुभव करते हैं. ऐसे जातकों को चिंता से मुक्ति मिलती है और उनके मन में सकारात्मक विचार लगातार आते रहते हैं. गुरु की महादशा के दौरान जातक को बेहद धन लाभ होता है, शिक्षा के क्षेत्र में नाम कमाते हैं.
बृहस्पति की शुभ स्थिति
जिन जातकों की कुंडली में गुरु शुभ स्थिति में होते हैं, उन्हें अपने जीवन में कभी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता. उनके पास धन के पर्याप्त और अच्छे खासे साधन होते हैं. शिक्षा के क्षेत्र में अपना परचम लहराते हैं. काफी सौम्य और समझदार जातकों की गिनती में होते हैं. ऐसे जातक लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र होते हैं.
बृहस्पति ग्रह की अशुभ स्थिति
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन जातकों की कुंडली में बृहस्पति अशुभ स्थिति में होते हैं, उन्हें अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे जातक अक्सर बीमार रहते हैं, इनका दांपत्य जीवन सुखी नहीं होता. इसके अलावा इन्हें संतान सुख से भी वंचित रहना पड़ता है. शिक्षा के क्षेत्र में काफी संघर्ष करना पड़ता है.
सरल उपाय
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन जातकों की कुंडली में देव गुरु बृहस्पति कमजोर स्थिति में होते हैं, उन्हें गुरुवार का व्रत रखना चाहिए. इस दिन पीली वस्तुओं जैसे चने की दाल, बेसन आदि का सेवन करना चाहिए. साथ ही दान में भी आप पीली वस्तुएं जैसे गुड़, चने की दाल, पीली मिठाई, जरूरतमंद लोगों को दे सकते हैं. इस दिन भगवान विष्णु को पीली वस्तुएं अर्पित करना चाहिए. इसके अलावा केले में जल व पीली वस्तुएं अर्पित करना शुभ माना जाता है.