November 27, 2024

Republic Day Parade: किंग्सवे से बना कर्तव्य पथ अब तैयार है पहली गणतंत्र दिवस परेड के लिए

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नई दिल्ली
 राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक सवा-तीन किलोमीटर लंबा मार्ग जो राजपथ कहलाता था, अब उसे कर्तव्य पथ के नाम से जाना जाता है। इस नाम को NDMC ने मंजूरी दी थी। जिसके बाद 8 सितंबर 2022 को आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कर्तव्य पथ का उद्घाटन किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने उस अवसर पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा था, 'कर्तव्य पथ केवल ईंट-पत्थरों का रास्ता भर नहीं है। ये भारत के लोकतांत्रिक अतीत और सर्वकालिक आदर्शों का जीवंत मार्ग है।' दरअसल, 102 साल पुराने इस मार्ग को आजादी से पहले किंग्सवे के नाम से जाना जाता था। फिर 1955 से हर साल 26 जनवरी यानि गणतंत्र दिवस के दिन भारतीय सेना की 9 से 12 रेजीमेंट और विभिन्न सैन्य उपकरणों जैसे टैंकों और मिसाइलों के साथ मार्च पास्ट का आयोजन शुरू हुआ। बाद में इस अवसर पर राज्यों और मंत्रालयों द्वारा भारत की सांस्कृतिक झलक झाकियों के माध्यम से प्रदर्शित करने का भी प्रचलन इसमें जोड़ दिया गया।

ब्रिटेन के सम्राट के नाम पर पड़ा नाम ब्रिटिश साम्राज्यवाद के दौर में कलकत्ता की जगह दिल्ली को भारत की राजधानी बनाने की घोषणा हुई। इस अवसर पर 1911 में किंग जॉर्ज पंचम दिल्ली आये तो उनके स्वागत में अंग्रेज अधिकारियों ने इस सड़क नाम किंग्सवे रखा था। दरअसल, यह नाम सेंट स्टीफेंस कॉलेज के इतिहास के प्रोफेसर पर्सिवल स्पियर ने दिया था। किंग्सवे का अर्थ किंग यानि राजा और वे यानि मार्ग होता है, अर्थात राजा का मार्ग। मशहूर आर्किटेक्ट इडविन लुटियंस और हरबर्ट बेकर ने इस मार्ग को बनवाया था। इन दोनों आर्किटेक्ट ने दिल्ली की इमारतों एवं सड़कों के निर्माण का काम सरदार नारायण सिंह को दिया था। सरदार नारायण ने सड़कों के नीचे भारी पत्थर, रोड़ी और तारकोल बिछाया था। इस तकनीक के प्रयोग से सड़कें टिकाऊ रहती है और ध्वनि प्रदूषण भी नहीं फैलाती। 

आजादी के बाद किंग्सवे बना राजपथ 1955 में दिल्ली के चीफ कमिश्नर ने दिल्ली के ब्रिटिश नामों वाले मार्गों एवं स्थानों के नाम बदलने की एक विस्तृत योजना तैयार की। उन्होंने एक नोट तैयार किया और उसे प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पास भेज दिया। प्रधानमंत्री नेहरू ने उस नोट को ध्यानपूर्वक पढ़ा और 24 जुलाई 1955 को केंद्रीय गृह सचिव को एक पत्र लिखा। इस पत्र में प्रधानमंत्री लिखते है, "मुझे यह कहना होगा कि मुख्य कमिश्नर ने जो नाम दिए है उनका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नहीं है। यह काम डॉ. रघुवीर का किया हुआ है।" हालांकि, इसी पत्र में प्रधानमंत्री ने दिल्ली के मात्र पांच मार्गों एवं स्थानों के नाम बदलने की अनुमति दी। इसमें ग्रेट प्लेस को विजय चौक, किंग्स-वे को राजपथ, क्वींस-वे को जनपथ, प्रिंसेस सर्किल को 15 अगस्त का मैदान और अल्बुकर्क रोड को तीस जनवरी मार्ग शामिल थे। बाकी अन्य नामों को उन्होंने यह कहकर नहीं बदलने दिया, "मुझे नहीं लगता कि अन्य सड़कों एवं स्थानों के नाम बदलने की जरुरत है।" 

  किंग्सवे से राजपथ मात्र हिंदी अनुवाद भारत सरकार ने 1955 में किंग्सवे का नाम बदलकर राजपथ तो कर दिया लेकिन यह केवल किंग्सवे का हिंदी अनुवाद मात्र ही था। इस बात की स्पष्टता 13 जुलाई 1956 को 'द टाइम्स ऑफ़ इंडिया' में Changing New Delhi नाम से प्रकाशित एक खबर से भी होती है। इसमें राजपथ को road for the royalty के नाम से संबोधित किया गया था।
 

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