Budget 2023: आम चुनाव से पहले, आखिरी पूर्ण बजट में सरकार का किस ओर है फोकस?
नई दिल्ली
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल बजट पेश करने के बाद कहा था कि बजट वित्तीय विकास पर केंद्रित था। लेकिन नौकरी या रोजगार सृजित करने पर ज्यादा जोर नहीं दिखाई दिया। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले आखिरी पूर्ण बजट में मोदी सरकार 1 फरवरी को लोगों को रोजगार की सौगात देना चाहती है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी की भारत जोरो यात्रा में जहां बेरोजगारी को मोदी सरकार के खिलाफ एक हथियार बनाया गया है, वहीं इस बार के बजट में रोजगार का भी जिक्र किया जाएगा। पीएम नरेंद्र मोदी साल में दो करोड़ रोजगार देने का वादा कर सत्ता में आए थे। लेकिन मोदी सरकार के आठ साल में केंद्र सरकार में सिर्फ 7.22 लाख नौकरियां पैदा हुई हैं। लोगों के गुस्से को शांत करने के लिए प्रधानमंत्री लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार में 10 लाख नौकरियों का वादा करते नजर आए। लेकिन बेरोजगारी की दर अभी भी काफी अधिक है।
युवा वोट बैंक को साधने की कोशिश
सीएमआईई (सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी) के मुताबिक, दिसंबर में देश में बेरोजगारी दर 8.30 प्रतिशत थी। शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 10 प्रतिशत से अधिक है। ऐसे में मोदी सरकार के साथ-साथ भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को भी लगता है कि चुनाव को ध्यान में रखते हुए बजट में रोजगार के मामले में सकारात्मक संदेश देने की जरूरत है। नहीं तो युवा पीढ़ी का वोट बैंक चरमरा सकता है। इसलिए विभिन्न बजट घोषणाओं में रोजगार के जो अवसर सृजित होंगे, उनका बजट भाषण में बार-बार उल्लेख किया जा सकता है।
रोजगार के लिए इन क्षेत्रों पर होगा फोकस
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, नए रोजगार सृजित करने के लिए कई नए क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ाने के लिए बजट में 'प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम' पेश की जा सकती है। इनमें साइकिल, खिलौने, चमड़ा, जूते-चप्पल जैसे श्रम प्रधान क्षेत्र शामिल हो सकते हैं, जहां काफी संख्या में श्रमिकों की आवश्यकता होती है। मोदी सरकार पहले ही 14 क्षेत्रों में प्रोत्साहन राशि के लिए 2 लाख करोड़ रुपये आवंटित कर चुकी है। सरकारी रिपोर्टों के अनुसार, इसके परिणामस्वरूप मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के निर्माण के लिए 4500 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ। रोजगार में वृद्धि हो रही है। नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत के अनुसार, "देश में मोबाइल फोन निर्माण को प्रोत्साहन देने की सफलता अन्य क्षेत्रों के लिए शिक्षाप्रद है। सरकार के अन्य मंत्रालयों को इस पर जोर देना चाहिए।"
विपक्ष ने मोदी सरकार पर लगाए ये आरोप
विपक्ष का आरोप है कि मोदी सरकार की नोटबंदी और जीएसटी ने छोटे और मझोले उद्योगों को पंगु बना दिया है। रोजगार का सृजन बड़े उद्योगों के स्थान पर लघु एवं मध्यम उद्योगों में होता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक छोटे और मझोले उद्योग कम ब्याज वाले कर्ज जैसी कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। अगर आप रोजगार सृजित करना चाहते हैं तो आपको बजट में इस पर गौर करना होगा।
साथ ही उद्योग जगत के अनुसार युवाओं को उपयुक्त प्रशिक्षण देकर रोजगारपरक बनाने की जरूरत है। क्योंकि चैंबर ऑफ कॉमर्स सीआईआई, एआईसीटीई, सीआईआई की 'इंडिया स्किल्स रिपोर्ट 2022' के मुताबिक सिर्फ 49 फीसदी युवा पीढ़ी के पास ही रोजगार योग्य कौशल है। चैंबर ऑफ कॉमर्स के एक अधिकारी ने कहा, 'मोदी सरकार मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत आदि की बात कर रही है। लेकिन रोजगार की समस्या जस की तस बनी हुई है। इसलिए अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर सृजित करना महत्वपूर्ण है।