महिला कलाकार ने जीवंत किया राम का पात्र, शक्ति पूजा साकार हुई मंच पर
बिलासपुर
कला अकादमी, छत्तीसगढ संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग की ओर से बिलासपुर में दो दिवसीय नाट्योत्सव की शुरूआत शनिवार की शाम छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) सभागार में हुई। पहले दिन प्रख्यात कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता पर आधारित पर नाटक राम की शक्ति पूजा का मंचन हुआ। जिसका निर्देशन रूपवाणी के प्रमुख व संगीत नाटक अकादमी का युवा पुरस्कार हासिल करने वाले व्योमेश शुक्ल ने किया था।
यह नाट्य प्रस्तुति कई मायनों में अनूठी रही। जैसा कि निर्देशक व्योमेश शुक्ल ने दर्शकों के बीच बताया, उसके मुताबिक बनारस की परंपरागत रामलीला आज भी पुरुष प्रधान होती है। जिसमें सीता सहित तमाम महिला किरदारों को पुरुष कलाकार निभाते हैं। इसलिए उन्होंने नया प्रयोग करते हुए यहां राम सहित कई पुरुष पात्र के लिए महिला कलाकारों को चुना है। व्योमेश ने अपनी यह प्रस्तुति बिलासपुर के रहने वाले देश के प्रख्यात कवि स्व. श्रीकांत वर्मा को समर्पित की थी। शुरूआत में कला अकादमी के अध्यक्ष योगेंद्र त्रिपाठी ने रूपवाणी के व्योमेश शुक्ल सहित प्रमुख कलाकारों का सम्मान किया।
50 मिनट की इस सधी हुई प्रस्तुति ने दर्शकों को अंत तक बांधे रखा। इस नाट्य प्रस्तुति में मुख्य रूप से सीता के किरदार में स्वाति, सीता और देवी-नंदिनी, लक्ष्मण-काजोल, हनुमान-तापस, विभीषण-वंशिका, जामवंत-जय, बाल हनुमान-साखी, यूथपति-विशाल, सेनापति-आकाश, सुग्रीव-आकाश देव वंशी और अंगद-अश्वनी रहे। नेपथ्य में नाट्यालेख और वस्त्र सज्जा डॉ शकुंतला शुक्ल, संगीत जेपी शर्मा और आशीष मिश्र, प्रकाश परिकल्पना-धीरेंद्र मोहन, मार्गदर्शन जितेंद्र मोहन, मंच सहकार दीपक और निर्देशन व्योमेश शुक्ल रहे।
राम का अंर्तद्वंद उभर कर आया नाटक में
1936 में महाप्राण सूर्यकांत त्रिपाठी निराला द्वारा रचित महाकाव्य राम की शक्ति पूजा पर आधारित इस नाट्य मंचन में मुक्य रूप से राम का अंतर्गद्वंद दशार्या गया है। कथावस्तु के अनुसार राम रावण का युद्ध चल रहा है। युद्धरत राम निराश हैं और हार का अनुभव कर रहे हैं। उनकी सेना भी खिन्न हैं। प्रिया सीता की याद इस अवसाद को और घना बना रही है। वह बीते दिनों के पराक्रम और साहस के स्मरण से उमंगित होना चाहते हैं लेकिन मनोबल ध्वस्त है। शक्ति भी रावण के साथ है। देवी स्वयं रावण की ओर से लड़ रही है। राम ने उन्हें देख लिया है। वह मित्रों से कहते हैं विजय असंभव है और शोक में डूब जाते हैं। बुजुर्ग जामवंत उन्हें प्रेरित करते हैं। वह राम की आराधन शक्ति का आह्वान करते हैं और उन्हें सलाह देते हैं कि तुम सिद्ध होकर युद्ध में उतरो। राम ऐसा ही करते हैं उधर लक्ष्मण हनुमान आदि के नेतृत्व में घनघोर संग्राम जारी है। इधर राम की साधना चल रही है। उन्होंने देवी को 108 नीलकमल अर्पित करने का संकल्प लिया था लेकिन देवी चुपके से आकर आखरी पुष्प चुरा ले जाती है। राम विचलित और स्तब्ध है। तभी उन्हें याद आता है कि उनकी आंखों को मां नीलकमल कहा करती थी। वह अपने नेत्र अर्पित करने के लिए हाथों में तीर उठा लेते हैं। तभी देवी प्रकट होती है वह राम को रोकती है। उन्हें आशीष देती है उनकी अभ्यर्थना करती है और राम में अंतर्ध्यान हो जाती है।
बचपन से दिल में धंसी हुई थी निराला की यह महान कविता – व्योमेश
अपनी नाट्य प्रस्तुति की शुरूआत के संबंध में व्योमेश शुक्ल ने बताया कि सत्तर के दशक की शुरूआत में उनकी माँ ने निराला की कविता पर शोध किया था। तब से राम की शक्तिपूजा नाम की यह महान कविता उनके दिल में धँसी हुई थी। बाद के दौर में मौनीबाबा की संसार-प्रसिद्ध रामलीला में राम बनने का मौका मिला। रामायण के किरदार, उनका मेकअप, उनकी वेशभूषा, उनकी जीत-हार सब भीतर जमा होता रहा। 2012 के बाद एकदिन अचानक मन में आया कि अब शक्तिपूजा का मंचन किया जाय। मेरे पास एक्का-दुक्का कलाकार थे। उन कलाकारों के साथ हम माँ से मिले और माँ ने आधे घंटे में उसका नाट्यालेख तैयार कर दिया। अब उसका संगीत तैयार करने की बारी थी। उसके लिए एक छोटी सी टीम बनी, जिसमें मेरे और माँ के साथ-साथ बनारस घराने के युवा गायक आशीष मिश्र और हमारे पुराने संगीत निर्देशक जे. पी. शर्मा शामिल थे। हमने बहुत अच्छे, नि:स्वार्थ और मेहनती मन से लगभग एक महीने की तैयारी में अपनी प्रस्तुति का संगीत बना लिया। अब रिहर्सल्स का न रुकने वाला सिलसिला शुरू हुआ, जो फरवरी 2013 से आज तक जारी है। हमें निराश और हतोत्साहित करने वाली घटनाएँ भी घटीं, लेकिन कमबख्त घटनाओं को आज तक नहीं पता है कि हमारा ध्यान उस ओर नहीं, अपने काम की तरफ है।
देश-विदेश के कई मंचों पर सम्मानित हो चुकी है यह अनूठी प्रस्तुति
बिलासपुर में पहली बार राम की शक्तिपूजा का मंचन हुआ है। यह प्रस्तुति देश-विदेश के अनेक मंचों और समारोहों में पुरस्कृत हो चुकी है। हाल ही में इसके निर्देशक व्योमेश शुक्ल और राम की भूमिका निभा रही अभिनेत्री स्वाति को अभिनय के लिये संगीत नाटक अकादमी का युवा पुरस्कार मिला है। खुद राम की शक्तिपूजा को 2015 में वर्ष के सर्वोत्तम नाटक का प्रतिष्ठित भीलवाड़ा नाट्य पुरस्कार मिल चुका है। पूरी तरह बनारस में निर्मित. अभिनेता, संगीतकार सब वहीं के हैं। अब तक सौ के क?ीब मंचन हो चुके हैं। बनारस घराने के शास्त्रीय संगीत से सजी हुई रामलीला के शिल्प में ड्रेस और मेकअप भी खासा चर्चित है। हाल ही में कांग्रेस सांसद राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा में खास तौर इसका मंचन किया जा चुका है।