खाद्य तेलों में रेकॉर्ड गिरावट,40 % तक घट गए दाम
भोपाल
महंगाई से परेशान लोगों के लिए खुशखबर है। खाद्य तेलों के भाव में जबर्दस्त गिरावट आई है। बीते छह माह के स्थानीय स्तर पर सभी तरह के तेल के भाव में करीब-करीब 40 फीसदी तक की मंदी आई है। आम बजट में यदि सरकार ने ड्यूटी नहीं बढ़ाई तो तेलों में और भी मंदी की संभावना है। कोरोना कॉल में सभी तरह के तेल के भाव रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए थे।
स्टॉकिस्ट को नुकसान
तेल के बड़े स्टॉकिस्टों और थोक व्यापारी तेल के दाम गिरने से नुकसान में हैं। सरकार ने स्टॉक सीमा हटा लिया। जिनके पास तेल का स्टॉक था, अब दाम गिरने से उन्हें नुकसान हो रहा है।
री-पैकिंग का कारोबार
खाद्य तेलों के जितने बड़े ब्रांड बाजार में हैं, उससे कहीं ज्यादा लोकल मेड तेल बिकते हैं। बाजार में री-पैकिंग और कम वजन वाला तेल खूब बिकता है।
इसलिए गिरावट
इस समय भारत में इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम तेल की खूब आवक है। बीते साल वहां की सरकारों ने आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। तब भारतीय बाजार में उबाल आ गया था। प्रतिबंध हटने पर पाम की आवक बढ़ गई। पाम की आवक बढऩे से दूसरे ब्रांड के खाद्य तेलों में गिरावट आई है।
सरसों का एमएसपी
सरकार ने सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि की है। एमएसपी पहले 5000 रुपए प्रति क्विंटल था, वह 5,400 प्रति क्विंटल हो गया है। सस्ते आयातित तेलों का मौजूदा हाल रहा तो सरसों की खपत नहीं हो पाएगी और सरसों एवं सोयाबीन का स्टॉक बचा रह जाएगा।
मनमानी पर रोक की जरूरत
एक्सपर्ट के अनुसार सरकार सभी खाद्य तेल उत्पादक कंपनियों को अपने एमआरपी का वेबसाइट पर खुलासा अनिवार्य कर दे तो तेल कंपनियों और छोटे पैकरों की मनमानी पर अंकुश लग सकता है। थोक कारोबार में दाम टूटने के बाद रिटेल मार्केट में एमआरपी अधिक होने से गिरावट का लाभ नहीं मिल पाता।
एक्सपर्ट के अनुसार सरकार सभी खाद्य तेल उत्पादक कंपनियों को अपने एमआरपी का वेबसाइट पर खुलासा अनिवार्य कर दे तो तेल कंपनियों और छोटे पैकरों की मनमानी पर अंकुश लग सकता है। थोक कारोबार में दाम टूटने के बाद रिटेल मार्केट में एमआरपी अधिक होने से गिरावट का लाभ नहीं मिल पाता।