अटकलें तेज:उपेंद्र कुशवाहा NDA में वापसी करेंगे
पटना
बिहार बीजेपी के 3 नेताओं ने दिल्ली के अखिल भारतीय अयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में जनता दल यूनाइटेड (JDU) संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात की, जिससे कयास लगाए जाने लगे कि कुशवाहा जल्द ही भाजपा में शामिल हो सकते हैं. कुशवाहा रूटीन मेडिकल चेकअप के लिए गुरुवार को दिल्ली एम्स में भर्ती हुए थे. वहीं, तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद बीजेपी नेताओं ने इशारों ही इशारों में संकेत दे दिए कि अगर कुशवाहा आना चाहेंगे तो उनका स्वागत किया जाएगा.
बिहार बीजेपी प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने कहा, "उपेंद्र कुशवाहा एनडीए सरकार में मंत्री रहे हैं. वह वर्तमान में एक अलग पार्टी में हो सकते हैं लेकिन हमारे दिल अभी भी एक साथ हैं. विकास और राष्ट्रवाद की राजनीति करने वाले सभी नेताओं का हमारी पार्टी में स्वागत है."
बता दें कि शुक्रवार को दिल्ली में कुशवाहा से मिलने वाले बीजेपी नेताओं में पूर्व विधायक प्रेम रंजन पटेल और संजय टाइगर और योगेंद्र पासवान शामिल हैं. पटेल ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जदयू नेता से उनकी मुलाकात की तस्वीरें पोस्ट कीं.
पिछले कई हफ्तों से बिहार की राजनीति में कयास लगाए जा रहे हैं कि उपेंद्र कुशवाहा भाजपा में शामिल हो सकते हैं. जब से बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी है, तब से उपेंद्र कुशवाहा को सरकार में कोई पद नहीं मिला है.
सूत्रों के मुताबिक, कुशवाहा को आने वाले दिनों में नीतीश कुमार कैबिनेट के विस्तार में उम्मीद थी कि उन्हें इस बार उप मुख्यमंत्री बनाया जाएगा, मगर पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट कर दिया कि उनकी सरकार में तेजस्वी यादव के अलावा कोई दूसरा डिप्टी सीएम नहीं होगा. जिसके बाद कुशवाहा को काफी मायूसी हुई.
क्योंकि कुशवाहा ने मीडिया से बातचीत के दौरान यह संकेत दे दिया था कि उन्हें अगर कोई महत्वपूर्ण पद सरकार में मिलेगा तो वह सहर्ष उसे स्वीकार करेंगे. इससे पहले कुशवाहा को पिछले साल महागठबंधन की सरकार बनने पर कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया था.
पिछले कुछ दिनों में, उपेंद्र कुशवाहा ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) विरोधी लाइन ली है और पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह को नीतीश कुमार के खिलाफ हमला करने को लेकर लताड़ा था.
दरअसल, जब आरजेडी नेता और शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरित्रमानस के संबंध में विवादास्पद टिप्पणी की, तो कुशवाहा ने राजद पर निशाना साधते हुए दावा किया कि आरजेडी, बीजेपी के हाथों में खेल रही थी, क्योंकि लालू प्रसाद यादव की पार्टी यह चाहती थी कि ऐसा करने के एवज में आरजेडी के शीर्ष नेताओं के खिलाफ जो कोर्ट के मामले चल रहे हैं, उसमें केंद्र सरकार से उन्हें कुछ मदद मिल जाए.