अफगानिस्तान में भयानक सर्दी से अबतक 57 लोगों की मौत
काबुल
भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में सर्दी का कहर जारी है. अफगानिस्तान में सर्दी की वजह से पिछले 8 दिनों में 157 लोगों की जान चली गई है. इसके अलावा 157 हजार मवेशी मारे गए हैं. यहां पारा माइनस में पहुंच गया है. यहां 10 जनवरी के बाद पारे में गिरावट आई है. पारा -33 डिग्री तक नीचे गिर गया है. मौसम विभाग के अफसरों के मुताबिक यहां पिछले कई सालों से ऐसी सर्दी नहीं पड़ी है.
10 जनवरी के बाद बढ़ी सर्दी
अफगानिस्तान के ग्रामीण इलाकों में सर्दी से बचने के लिए कैंप फायर लगाए गए हैं. बर्फीले इलाकों में लोगों को सर्दी से बचाने के लिए कोयले के हीटर जलाए गए हैं. मौसम विज्ञान ऑफिस के प्रमुख नसीम मुरादी के मुताबिक यहां 10 जनवरी के बाद सर्दी बढ़ी है. यहां सबसे कम तापमान -33 डिग्री दर्ज किया गया जो अब तक का सबसे निचले स्तर पर है.
70 हजार मवेशियों की मौत
मौसम विभाग के मुताबिक यहां एक हफ्ते तक या उससे ज्यादा वक्त तक शीत लहर का कहर जारी रहेगा. मिनिस्ट्री ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंन ने कहा कि यहां सर्दी की वजह से पिछले 8 दिनों में 70 लोगों की मौत हो गई है जबकि 70,000 मवेशियों की जान चली गई है. सर्दी की वजह से गरीबों की हालत खराब है. सरकार ने गरीबों के लिए अलाव जलाया तो वह खुशी से झूमते नजर आए.
बुरे हैं अफगानिस्तान के हालात
अफगानिस्तान से जबसे अमेरिका की सेना वापस गई है. उसके बाद से ये दूसरी बार है जब यहां सर्दी पड़ रही है. जब से यहां तालिबान ने सत्ता पर कब्जा किया है उसके बाद से यहां आर्थिक मंदी का दौर चल रहा है. इसकी वजह से लोगों को सर्दी से बचने में मुश्किल पेश आ रही है.
दो तिहाई आबादी संकट में
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार (UNOCHA) के मुताबिक अफगानिस्तान की कुल आबादी में से 2 करोड़ 83 लाख लोगों पर ठंड का असर ज्यादा पड़ा है. ये वो लोग हैं जिनके जिंदा रहने के लिए तुरंत मदद की जरूरत है. देश की आबादी 4 करोड़ 1 लाख है, जिसका मतलब देश की दो तिहाई आबादी सर्दियों की वजह से संकट के दौर से गुजर रही है.
बर्फबारी के कारण कई इलाकों से संपर्क टूटा
कार्यवाहक आपदा प्रबंधन मंत्री मुल्ला मोहम्मद अब्बास अखुंद ने बीबीसी को बताया कि बर्फबारी के कारण अफगानिस्तान के कई इलाके अब पूरी तरह से कट गए हैं। सेना के हेलीकॉप्टर बचाव के लिए भेजे गए हैं, लेकिन वे सबसे पहाड़ी इलाकों में नहीं उतर सके हैं। हालांकि अगले 10 दिनों के पूर्वानुमान से संकेत मिलता है कि तापमान नीचे जाएगा और मौसम में गर्माहट बढ़ेगी। कार्यवाहक मंत्री अखुंद का कहना है कि वह अभी भी अफगानों और उनके पशुओं की बढ़ती मौत के बारे में चिंतित हैं।
टूटा 15 सालों का रिकॉर्ड
मुल्ला अखुंद ने कहा, "ठंड में जान गंवाने वाले ज्यादातर लोग चरवाहे या ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग हैं। ऐसे लोगों की मौत हुई है जिनके पास स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच नहीं थी।" आपको बता दें कि अफगानिस्तान में सर्दी हमेशा से ही बेहद कठोर रही है लेकिन यह अब तक का सबसे खराब मौसम बताया जा रहा है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान में पिछले 15 सालों में इतनी भीषण ठंड नहीं पड़ी। यहां बर्फीले तूफान के चलते हालात नाजुक हो गए हैं। देश के 34 प्रांतों में से 8 प्रांतों में हालात गंभीर हैं। ठंड से मरने वालों का आंकड़ा इन्हीं 8 प्रांतों में सबसे ज्यादा है।
UNOCHA पहुंचाई मदद
अफगानिस्तान के मैनेजमेंट मिनिस्टर मोहम्मद अब्बास अखुंद ने जानकारी दी कि देश में ठंड की वजह से सबसे ज्यादा मौतें ग्रामीण इलाके में हो रही है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में हेल्थ फैसिलिटी के कमी की वजह से मौतें हो रही हैं. वहीं भारी बर्फबारी के वजह से अफगानिस्तान-पाकिस्तान नेशनल हाइवे जाम हो चुका है. हालांकि इस दौरान संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार (UNOCHA) ने अब तक देशभर में 5 लाख 65 हजार लोगों को कंबल,शेल्टर और मानवीय सहायता पहुंचा चुकी है.