November 25, 2024

हिन्दू धर्म में जाने क्या है नारियल का महत्व,क्यों कलश में रखते हैं ऊपर?

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हिंदू धर्म में किसी भी प्रकार की पूजा पाठ में नारियक का प्रयोग जरूर किया जाता है. चाहे कोई त्योहार की पूजा हो या फिर गृह प्रवेश हो, किसी खास बड़े सामान की खरीदारी हो या फिर शादी विवाह का कार्यक्रम हो नारियल का विशेष महत्व होता है. लेकिन आपने गौर किया होगा कि नारियल को हमेशा पुरुष या फिर लड़के ही फोड़ते हैं. कभी भी महिलाओं को नारियल फोड़ने के लिए नहीं कहा जाता. आखिर ऐसा क्या है कि महिलाएं भगवान को नारियल चढ़ा तो सकती हैं लेकिन फोड़ नहीं सकती?

हिंदू धर्म में नारियल को बहुत ही शुभ माना जाता है. ज्योतिषशास्त्र की मानें तो नारियल का पानी चंद्रमा का प्रतीक होता है और इसे भगावन को चढ़ाने से सुख समृद्धी मिलती है और साथ ही इससे दुख दर्द दूर होते हैं. आइए जानते हैं कि आखिर महिलाओं का नारियल फोड़ना क्यों निषेध है और इसके पीछे आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण क्या हैं…

महिलाएं क्यों नहीं फोड़ती नारियल
हिंदू धर्म में महिलाओं को नारियल फोड़ना वर्जित है. ऐसा इसलिए है क्योंकि नारियल एक बीज है और महिलाएं संतान उत्पत्ति का कारक होती है. वे एक बीज से ही संतान को पैदा करती हैं. इसी कारण से महिलाएं कभी भी नारियल को नहीं तोड़ती. ऐसा माना जाता है कि अगर महिलाएं नारियल फोड़ती हैं तो ऐसा करने से उनके संतान के जीवन में कई तरह की समस्याएं आ सकती हैं.

नारियल का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म नारियल का धार्मिक महत्व सबसे ज्यादा है. पौराणिक कथाओं की मानें तो कहा जाता है कि धरती पर नारियल के पेड़ भगवान विष्ण और माता लक्ष्मी जी ने लगाए थे. नारियल के पेड़ को कल्पवृक्ष के नाम से जाना जाता है. नारियल भगवान विष्णु और मात लक्ष्मी को बहुत प्रिय होता है इसलिए अधिंकांश पूजा पाठ में इसका इस्तेमाल किया जाता है.

कलश के ऊपर क्यों रखा जाता है नारियल
वास्तु शास्त्र में भी नारियल का बहुत अधिक महत्व है. आपने गौर किया होगा कि कलश के ऊपर नारियल को रखा जाता है. ऐसा मानते हैं कि कलश के ऊपर नारियल रखा जाना गणेश जी का प्रतीक माना जाता है और सभी कार्यों में गणेश पूजा को प्रथम दर्जा दिया गया है.

महर्षि विश्वामित्र ने की थी रचना
नारियल को लेकर एक और पौराणिक कथा प्रचलित हैं. माना जाता है कि महर्षि विश्वामित्र ने इंद्रदेव से रुष्ट होकर एक दूसरे स्वर्ग का निर्माण किया था. उस नए स्वर्ग के निर्माण से जब वे खुश नहीं हुए तो उन्होंने एक अलग पृथ्वी के निर्माण करने के बारे में सोचा. उन्होंने पृथ्वी में सबसे पहले नारियल के रूप में मनुष्य की ही रचना की. इसी वजह से नारियल को मनुष्य के रूप में जाना जाता है.

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