November 25, 2024

जिस दावे से सत्ता पर हक जता रहे थे सचिन पायलट, गहलोत ने एक झटके में किया खारिज

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 नई दिल्ली 

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डेप्युटी सीएम सचिन पायलट के बीच एक और मुद्दे पर टकराव बढ़ गया है। एक तरफ जहां सचिन पायलट 2018 में कांग्रेस को मिली जीत का क्रेडिट लेते हुए सत्ता पर अपनी दावेदारी जता रहे थे तो अब गहलोत ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है। अशोक गहलोत ने पायलट को जवाब देते हुए कहा कि राज्य में कांग्रेस की 2018 में सत्ता में वापसी उनके पिछले कार्यकाल में किए गए काम के कारण हुई। गहलोत ने इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में 156 सीटें जीतने का लक्ष्य भी रखा।

      लंबे समय से गहलोत के साथ सत्ता की खींचतान में फंसे पायलट बार-बार यह कहते रहे हैं कि 2013 से 2018 तक जब वह प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे उस दौरान पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के संघर्ष के कारण कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई। पायलट कहते हैं कि कांग्रेस विधायकों की संख्या जो 2013 में घटकर 21 रह गई थी, पार्टी आलाकमान ने उन्हें प्रदेश कांग्रेस कमेटी का प्रमुख बनाया और उन्होंने 5 साल तक बहुत मेहनत की।

गहलोत ने पायलट का नाम लिए बिना कहा कि 2013 की हार काफी हद तक 'मोदी लहर' के कारण हुई थी, लेकिन राज्य में भाजपा सरकार के छह महीने के कार्यकाल में लोगों को अपनी 'गलती' का एहसास हो गया था। गणतंत्र दिवस कार्यक्रम के बाद सवाई मानसिंह स्टेडियम पर संवाददाताओं से बातचीत में मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा, 'वो जो माहौल बनता है, वो भी एक बड़ा कारण होता है सरकार वापस आने का। बाकी कारण तो होते ही हैं हमारे कार्यकर्ता, हमारी पार्टी संघर्ष करती है, सड़कों पर उतरती है। हालांकि, (जनता के) दिमाग में था कि पिछली बार हमने 2013 में सरकार बदलकर गलती कर दी और इसीलिए इस बार पहले ही हवा बन गई थी कि सरकार आनी चाहिए और अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनना चाहिए।'

      गहलोत ने कहा, 'हमारा रास्ता बिलकुल साफ है। जब हमने 1998 में सरकार बनाई थी, तब 156 सीटें आई थीं, उस समय मैं प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष था, तो मैं चाहूंगा कि हम लोग मिशन 156 लेकर चलें। इसके लिए हमने काम शुरू कर दिया है।' गहलोत ने कहा कि उनके विधायकों ने उनका समर्थन किया और 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान अंदरूनी कलह से निपटने में उनकी मदद की, जिससे उनकी सरकार बच गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपनी सरकार को बचाने और लोगों की सेवा करने के लिए कड़ा संघर्ष किया और अपनी 'आखिरी सांस' तक ऐसा करते रहेंगे। 
 

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