November 25, 2024

‘एग्जाम एंड ऑफ द लाइफ नहीं होता…’,भोपाल के दीपेश और रितिका ने पूछा सवाल, जानिये पीएम मोदी के ‘मंत्र’

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नईदिल्ली
 पीएम मोदी की 'परीक्षा पे चर्चा' में छात्रों ने कई सवाल किए इनमें से एक जरूरी सवाल हरियाणा और जम्मू के छात्रों ने भी पूछा. हरियाणा के पलवल में शहीद नायक राजेंद्र सिंह राजकीय मौलिक संस्कृति वरिष्ठ विद्यालय में पढ़ने वाले 12वीं साइंस ट्रीम के छात्र प्रशांत ने पूछा कि तनाव, परीक्षा के परिणामों को किस तरह प्रभावित करता है? वहीं जम्मू से 10वीं क्लास की निदाह ने पीएम मोदी से पूछा कि जब हम मेहनत करते हैं लेकिन परिणाम नहीं मिलता तो डेड स्ट्रेस को सकारात्मक दिशा में कैसे लगाया जा सकता है? आइए जानते हैं परीक्षा के तनाव को दूर करने के लिए पीएम मोदी ने क्या मंत्र दिए

सच्चाई का सामना करें
परीक्षा के परिणाम जो आते हैं उसके बाद जो तनाव है उसका मूल कारण एक तो हम परीक्षा देकर घर वालों को कहते हैं कि मेरा शानदार पेपर गया है, 90 तो पक्का हैं, बहुत अच्छा करेक आया हूं तो घर के लोगों का एक मन बन जाता है और हम को भी लगता है कि अगर गाली खानी ही है तो एक महीने बाद खाएंगे अभी तो बता दूं.

इससे परिवार ने मान लिया होता है कि तुम सच बोल रहे हो और तुम अच्छा रिजल्ट लाने ही वाले हो, वे अपने दोस्तों को बताते हैं कि बहुत अच्छा किया है, बहुत पढ़ाई की… लेकिन जब रिजल्ट आता है 40 प्रतिशत, तब तुफान खड़ा हो जाता है और इसलिए पहली बात है कि हमें सच्चाई से मुकाबला करने की आदत छोड़नी नहीं चाहिए, हम कितने दिन तक झूठ के सहारे जी सकते हैं, स्वीकार करना चाहिए कि आज एग्जाम सही नहीं गया, कोशिश की थी लेकिन अच्छा नहीं गया. अगर पहले से ही आप कह देंगे और 5 मार्क्स ज्यादा आ जाएं तो घर वाले खुद कहेंगे कि तुम तो कह रह थे कि अच्छा नहीं गया. एक स्टैंडर्ड बन जाएगा.

 प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में मध्‍य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दीपेश को भी अपना सवाल पूछने का मौका मिला। दसवीं के छात्र दीपेश का सवाल था कि हम इंस्‍ट्राग्राम और अन्‍य इंटरनेट मीडिया की इस दुनिया में अपना ध्‍यान भटकाए बिना अपनी पढ़ाई पर ध्‍यान कैसे केंद्रित करें। भोपाल की रितिका ने भी प्रधानमंत्री से सवाल किया।

उन्‍होंने कहा कि आप इस बात पर विश्‍वास करें कि परमात्‍मा ने आपको बहुत शक्ति दी है और आपसे स्‍मार्ट गैजेट्स नहीं हो सकता । आप जितने स्‍मार्ट होंगे गैजेट्स का उतने प्रभारी तरीके से उपयोग कर सकेंगे।

प्रधानमंत्री ने क‍हा कि देश के लिए यह चिंता का विषय है। मुझे पता चला है कि भारत में औसत 6 घंटे लोग स्‍क्रीन पर गुजारते हैं। हमें गैजेट्स गुलाम बना रहा है। हम इसके गुलाम न बनें और अपनी आवश्‍यकता के अनुसार इसका उपयोग करें।

भोपाल के सुभाष उत्‍कृष्‍ट उमावि की कक्षा 12 वीं की छात्रा रि‍तिका घोड़के ने पूछा कि हम एक से अधिक भाषाएं कैसे सीख सकते हैं। इस पर प्रधानमंत्री ने जवाब दिया कि हमारा देश विविधता वाला देश है। इस पर हमें गर्व होना चाहिये। यहां संचार के अनेक साधन हैं। हमें कोशि‍श करनी चाहिये कि अन्‍य राज्‍यों की भाषाएं सीखें। इसके जरिए हमें अनुभवों का निचोड़ भी मिलता है।

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