रक्षा मंत्रालय के पावर प्रोजेक्ट से बढ़ेगी मध्यप्रदेश की हरियाली
भोपाल
अंडमान-निकोबार में रक्षा मंत्रालय एक पावर प्रोजेक्ट लगा रहा है, इस प्रोजेक्ट से मध्यप्रदेश की हरियाली बढ़ेगी। दरअसल, वहां पावर प्रोजेक्ट के लिए जितने पेट कटेंगे, क्षतिपूर्ति के रूप में उससे दोगुना पेड़ लगाए जाना है। इस प्रोजेक्ट के लिए दो साल पहले नवंबर में वन विभाग ने एक प्रस्ताव तैयार कर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजा था। यदि ये प्रस्ताव पास होता तो प्रदेश में करीब 40 हजार हेक्टेयर जंगल में हरियाली बढ़ती। करीब सवा दो साल बाद इस प्रोजेक्ट के पहले चरण की मंजूरी मिल गई है। हालांकि, अब मध्यप्रदेश को हरियाणी के साथ इस प्रोजेक्ट को साझा करना होगा। मंत्रालय से इन दोनों राज्यों को कैंपा फंड मिलेगा जिस पर उनको काम करना होगा।
14 हजार हेक्टेयर की योजना हुई बंद
पावर प्रोजेक्ट लगाने में करीब 20 हजार हेक्टेयर जंगल प्रभावित हो रहा था। इसकी क्षतिपूर्ति के लिए दोगुना वनीकरण किया जाना था। वन विभाग के प्रस्ताव के तहत प्रदेश के 40 हजार हेक्टेयर में जंगल हरा-भरा होना था। इसके लिए करीब 15 सौ करोड़ की राशि मिलती। वन विभाग ने प्रस्ताव केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भेजा था। मध्यप्रदेश ने इसके लिए प्रदेश के हर जिले को शामिल करते हुए 1110 साइट का चयन किया था। इसके तहत तीन साल में पौधरोपण का काम किया जाना था, लेकिन प्रस्ताव पास होने में ही सवा दो साल लग गए। नीति आयोग ने इस प्रोजेक्ट में से करीब 14 हजार हेक्टेयर की योजना बंद कर दी। अब 26 हजार हेक्टेयर में ही पौधरोपण होगा।
हरियाणा तय करेगा मप्र में को कितना हिस्सा मिलेगा
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट में हरियाणा को प्राथमिकता दी है। मंत्रालय ने उससे पूछा है कि वह कितने क्षेत्र में पौधरोपण करेगा। उसी के अनुसार उसे फंड जारी किया जाएगा। शेष राशि मध्यप्रदेश के हिस्से में आएगी। वन अधिकारियों का कहना है कि यदि इस प्रस्ताव को स्वीकृति मिल जाती तो हर जिले में एक जंगल खड़ा किया जा सकता था, बल्कि यहां लगाए गए पौधों से आगामी वर्षों में रोजगार के नए मौके भी मिलते। वन विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना हैकि प्रोजेक्ट में पहले चरण की मंजूरी मिल गई है। इसमें 14 हजार हेक्टेयर की योजना को बंद कर दिया गया। अब हरियाणा ही तय करेगा कि वह कितने हेक्टेयर में जंगल लगाएगा। शेष हिस्सा मध्यप्रदेश को मिलेगा।