SC-ST के लिए प्रमोशन में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का राज्यों से सवाल- डेटा का क्या हुआ?
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट में प्रमोशन में आरक्षण के मामले पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने सभी राज्यों को यह बताने का निर्देश दिया कि इस मामले में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व की पहचान के लिए क्या मानदंड अपनाए गए हैं। एससी ने इस संबंध में कैडर-वार डेटा प्रस्तुत करने का भी आदेश दिया है। जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, 'जरनैल सिंह-द्वितीय मामले (28 जनवरी, 2022) में हमारे फैसले के संदर्भ में अभ्यास करने और अदालत के समक्ष स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए अधिकारियों की खातिर यह खुला रहेगा।'
SC राज्य सरकारों और आरक्षित श्रेणी के कर्मचारियों की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिनमें आरक्षण को लेकर रखी गई शर्तों और उनके पालन में देरी को चुनौती दी गई है। इस पीठ में जस्टिस बीआर गवई और बीवी नागरत्ना भी शामिल हैं। बेंच ने 17 जुलाई से डे-टू-डे बेसिस पर याचिकाओं के बैच को लेने पर सहमति जताई। हालांकि, कोर्ट ने तब तक सभी संबंधित पक्षों को अपने दस्तावेज दाखिल करने का निर्देश दिया।
'SC-ST को प्रमोशन में मिलेगा आरक्षण, लेकिन…'
एससी ने पिछले साल अपने फैसले में कहा था कि सरकारी नौकरियों में एससी, एसटी वर्ग के लोगों को प्रमोशन में आरक्षण दिया जा सकता है, लेकिन ये आरक्षण सेवा में पोस्ट/पद विशेष के लिए होगा। पूरी सेवा या वर्ग या समूह के लिए नहीं। मतलब यह कि प्रमोशन में आरक्षण मिलेगा, लेकिन उसे देने के नियम जो एम. नगराज फैसले में तय किए थे उनमें कोई ढिलाई नहीं होगी।
जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने कहा कि सरकार को आरक्षित वर्ग विशेष के पिछड़ेपन के मात्रात्मक आंकड़े जुटाने ही होंगे और इन आंकड़ों के आधार पर ही प्रमोशन में आरक्षण दिया जा सकेगा। आरक्षित वर्ग का उच्च पदों पर प्रतिनिधित्व कितना है और कितना नहीं यह पोस्ट/पदों के हिसाब से तय होगा। यह नहीं कि पूरी सेवा/वर्ग/समूह में उसका प्रतिनिधित्व देखा जाए।