मिशन 2024 पर भाजपा- मिडल क्लास का अमृत महोत्सव, पिछड़ों और आदिवासियों को भी बजट से लिया साध
नई दिल्ली
बीते कई बजटों से मिडल क्लास लगातार टैक्स में राहत की उम्मीद कर रहा था, लेकिन उसे निराशा ही हाथ लगती थी। बुधवार को निर्मला सीतारमण का बजट पिटारा खुला तो उन्होंने सारी शिकायतें ही दूर कर दीं। अब कुल 7 लाख रुपये तक की कमाई वाले लोगों पर कोई टैक्स ही नहीं लगेगा। पहले यह लिमिट 5 लाख की ही थी। इस तरह बजट से भाजपा सरकार ने मिडल और लोअर मिडल क्लास के लिए अमृत महोत्सव जैसा माहौल बना दिया। आजादी के अमृत काल के पहले बजट में मिडल क्लास को बड़ा फायदा होता दिखा है, जिसे भाजपा का परंपरागत वोट बैंक माना जाता रहा है।
इसके अलावा बजट में पीएम-विकास योजना का ऐलान करके ओबीसी समाज से आने वाली कई बिरादरियों को भी भाजपा ने साधने की कोशिश की है। पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना के तहत लुहार, बढ़ई, बुनकर, कुम्हार जैसे जातियों को सरकार ने साधने की कोशिश की है। ये जातियां कामकाजी मानी जाती हैं और ओबीसी वर्ग में शामिल हैं। भाजपा को उम्मीद है कि इनके साथ आने से वह यूपी की तरह अन्य राज्यों में भी सफलता दोहरा सकती है। पूरे देश में इन कामकाजी जातियों की संख्या 140 है और सबको साथ मिला लिया जाए तो इनका अच्छा खासा वोटबैंक बनता है। यही वजह है कि भाजपा ने इन्हें फोकस में लेते हुए ही स्कीम तैयार की है और उसका नामकरण भी खासतौर पर विश्वकर्मा कौशल सम्मान रखा है।
यही नहीं एकलव्य स्कूलों के लिए बड़े रकम के आवंटन और 38,000 शिक्षकों की भर्ती का फैसला भी भाजपा सरकार को फायदा दिला सकता है। इस स्कीम से भाजपा सरकार को ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में फायदा मिल सकता है। द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाकर पहले ही पार्टी इन वर्गों को साथ लाने की कोशिश कर चुकी है। यही नहीं चुनावी राज्य कर्नाटक को भी अपर भद्रा परियोजना के लिए 5,300 करोड़ रुपये आवंटित करके केंद्र सरकार ने एक संदेश दिया है। राज्य में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इस लिहाज से इस घोषणा को अहम माना जा रहा है।
क्यों 7 लाख तक टैक्स न लगना माना जा रहा मास्टरस्ट्रोक
दरअसल देश का एक बड़ा वेतनभोगी वर्ग 7 लाख रुपये से कम की सालाना कमाई में ही आता है। ऐसे में इतनी रकम तक कोई टैक्स न लेने के ऐलान ने इन लोगों को राहत दी है। महंगाई के बढ़ने के चलते लगातार यह मांग की जा रही थी कि टैक्स की लिमिट को बढ़ाया जाए। इसलिए सरकार के इस फैसले को लोअर मिडल क्लास के लिए सौगात के तौर पर देखा जा रहा है।