सभी पर्यवेक्षक निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप परीक्षेत्र भ्रमण कर कुपोषित बच्चों के माता-पिता से जरूर बात करें
रायपुर
कलेक्टर डॉ सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने कलेक्टोरेट सभाकक्ष में महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर विभागीय कामकाज की समीक्षा किया। उन्होंने कुपोषण दूर करने के लिए विभागीय अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। कलेक्टर ने अधिकारीयों से कहा कि जिन-जिन सेक्टरों में कुपोषण के मामले अधिक है, वहां विशेष मॉनिटरिंग करें तथा समस्याओं का तत्काल निराकरण करें। कलेक्टर ने सभी परियोजनाओ रायपुर शहरी एक ,रायपुर शहरी दो, धरसीवां एक, धरसीवां दो, आरंग, अभनपुर, मंदिर हसौद तथा तिल्दा के 0 से 3 वर्ष, 3 से 6 वर्ष, गर्भवती एवं शिशुवती के दर्ज एवं लाभांवित हितग्राहियों की जानकारी ली। इस अवसर पर जिला पंचायत रायपुर के मख्य कार्यपालन अधीकारी श्री आकाश छिकारा उपस्थित थे।
उन्होंने अधिकारियों से कहा कि महिला पर्यवेक्षक निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप परिक्षेत्र भ्रमण करें तथा कुपोषित बच्चों के माता-पिता से अवश्य बात करें। कलेक्टर ने कुपोषण फ्री हुए आंगनबाड़ी केंद्रों के कार्यकतार्ओं को प्रमाण पत्र देकर उनका सम्मान करने की भी बात भी कही। कलेक्टर डॉ भुरे के मार्गदर्शन में जिले में कुपोषण के स्तर में कमी लाने हेतु दुलार अभियान तथा गर्भवती महिलाओं के गर्भवस्था के दौरान वजन वृद्धि हेतु विशेष अभियान मिशन 12 के.जी चलाया जा रहा है। इस अभियान का उदेश्य स्तनपान और शिशु पोषण को बढ़ावा देते हुए कुपोषण में कमी लाना है। दुलार अभियान अंतर्गत रायपुर जिला के समस्त 1882 आंगनबाड़ी केंद्रों में जो कि नगर पालिक निगम, नगर पंचायत, जनपद पंचायत एवं ग्राम पंचायतों में संचालित है। इन आंगनबाड़ी केंद्रों में दर्ज गर्भवती, शिशुवती एवं 06 माह से 03 वर्ष के बच्चों की जानकारी, गर्भवती महिला के गर्भ का माह एवं वजन तथा हिमोग्लोबिन, शिशुवती माता के शिशु की उम्र एवं वजन तथा 06 माह से 03 वर्ष के सभी बच्चों के उम्र तथा वजन लिया जा रहा है। इस अभियान अंतर्गत बैसलाइन सर्वे, प्रशिक्षण तथा सुपोषण संवाद का आयोजन किया जा रहा है।
रायपुर जिले में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में लगभग 15,000 गर्भवती महिलाएं दर्ज है। सामान्य तौर पर संपूर्ण गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला के वजन में कम से कम 10 किलो की वृद्धि होनी चाहिए। किंतु व्यवहारिक तौर पर यह वृद्धि 06 से 07 किलो पायी जाती है। गर्भवती महिला के वजन में वृद्धि का सीधे संबंध उसके गर्भास्थ शिशु के शारीरिक विकास और वजन से जुड़ होता है।गर्भावती महिला के वजन में आवश्यक वद्वि न होने की स्थिति में कम वजन के शिशु के जन्म की संभावना बढ़ जाती है और कम वजन की शिशु के भविष्य में कुपोषित होने की संभावना भी बढ़ जाती है। इसके लिए आवश्यक है कि पुरे गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला के वजन में कम से कम 12 किलो की वृद्धि हो। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए जिले में मिशन 12 के.जी प्रारंभ किया गया है।
कलेक्टर डॉ भुरे ने सेक्टरवार दिसंबर और जनवरी महीने में हुए रेडी टू इट टेक होम राशन से लाभांवित हितग्राहियों की जानकारी ली। उन्होंने 8 मार्च तक कुपोषण दर 10 प्रतिशत् से कम होने के लिए विशेष प्रयास करने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया। उन्होंने गंभीर कुपोषित बच्चे एवं एनीमिक महिलाओं पर विशेष ध्यान देने कहा। उन्होंने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका के स्वीकृत पद, भरे पद एवं रिक्त पदों की जानकारी लेकर विभागीय अधिकारियों को नियुक्ति की कार्यवाही के संबंध में निर्देशित किया। कलेक्टर ने पोषण पुनर्वास केंद्र, छत्तीसगढ़ महिला कोष, पोषण ट्रैकर एप, आंगनबाड़ी भवनों की स्थिति सहित अन्य महत्वपूर्ण विषयों की समीक्षा कर अधिकारियों को निर्देशित किया।