टेबल टेनिस प्लेयर दिव्यांश, 15 नेशनल चैंपियनशिप में जीते 20 मेडल
लखनऊ
दिव्यांश एक टेबल टेनिस खिलाड़ी हैं. उसका उद्देश्य राष्ट्रमंडल खेलों, एशियाई खेलों और ओलंपिक खेलों में जीत के अंतिम मिशन जैसे कई टूर्नामेंट जीतना है. जिससे देश को गौरवान्वित किया जा सके. अंतर्राष्ट्रीय एथलीट राष्ट्रीय चैंपियन और कई सम्मानों के विजेता (अठारह वर्षीय) दिव्यांश श्रीवास्तव लखनऊ के रहने वाले हैं. वो लगातार मेडल जीत रहे हैं. उन्होंने 15 नेशनल चैंपियनशिप खेली हैं. यही नहीं वो अब तक 20 मेडल जीत चुके है. उन्होंने कई देशों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई बार देश का प्रतिनिधित्व किया है. साथ ही छह कांस्य और दो रजत पदक भी हासिल किए हैं.
दिव्यांश श्रीवास्तव ने 2022 में जीता था स्वर्ण
टेनिस खिलाड़ी दिव्यांश श्रीवास्तव ने 2021 में यूटीटी नेशनल रैंकिंग टेबल टेनिस चैंपियनशिप में यूथ बॉयज अंडर -17 के खिताबी मुकाबले में 4-3 जीत हासिल की थी. दिव्यांश श्रीवास्तव ने डिस्ट्रिक्ट टेबल टेनिस चैंपियनशिप में भी क्लीन स्वीप किया है. यूपीटीटीए कॉम्प्लेक्स में खेले गए चारों फाइनल जीतकर उन्होंने मेन्स सिंगल्स, यूथ बॉयज, जूनियर बॉयज टूर्नामेंट और सब-जूनियर लड़कों का खिताब जीता है. उन्होंने खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 में पश्चिम बंगाल को हराकर सार्थ मिश्रा के साथ युगल वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था.
क्या कहते हैं दिव्यांश
दिव्यांश कहते हैं कि जब तक आप इसे गंभीरता से नहीं लेते तब तक आप कभी नहीं जान पाएंगे कि आप क्या करने में सक्षम है. खेलो इंडिया को लेकर उन्होंने कहा की वो पहली बार हिस्सा ले रहे हैं. वो पिछले 2-3 सालों से खेलो इंडिया में भाग लेने के लिए बहुत उत्सुक थे. इस स्टार खिलाड़ी के अनुसार, बच्चों को पालने बढ़ने और अविश्वसनीय रूप से चमकने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए इस प्रकार के आयोजन हर साल होने चाहिए. इसके अलावा, ये प्लेटफॉर्म वास्तव में युवाओं को अपने जीवन में अपने जुनून और सपनों को हासिल करने में मदद कर सकते हैं. इसके अलावा ये वास्तव में एक बच्चे को सपने देखने के लिए बढ़ावा दे सकता है और पूरी दुनिया में खेलों को प्रोत्साहित कर सकता है.
मध्यवर्गीय पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखते हैं दिव्यांश
वो कहते हैं जब आप राष्ट्र के लिए खेलते हैं और जब राष्ट्रगान शुरू होता है, तो आपके हाथ में आने वाले रोंगटे वास्तव में यह निर्धारित करते हैं कि आप देश के लिए खेल रहे हैं. वो कहते हैं मैं ये महसूस करना चाहता हूं. मेरा देश मेरी प्रेरणा है जो मुझे कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करता है. वो रोजाना करीब 6 से 8 घंटे अभ्यास कर रहे हैं. उनका मानना है कि कभी भी किसी को यह परिभाषित न करने दें कि आप उन मापदंडों का उपयोग करके क्या करने में सक्षम हैं जो आप पर लागू नहीं होते है. मध्यवर्गीय पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले दिव्यांश ने अपने माता-पिता के साथ-साथ संघर्ष किया है. उनके पिता जो एक ड्राइवर और मां गृहिणी हैं. उनके लिए टेबल टेनिस की आवश्यक चीजों को वहन नहीं कर सकते थे. इन चुनौतियों का सामना करने के बावजूद उन्होंने अपने माता-पिता के साथ- साथ पूरे देश को गौरवान्वित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है.
अपनी सफलता के लिए दिव्यांश प्रेरणा उनकी मां और परिवार को प्रेरणा मानते हैं. साथ ही उन्हें उम्मीद है कि ये खेल में एक सफल करियर बनाने में उनकी मदद करेगा. वो कहते हैं अलग बनने की कोशिश मत करो, बस खुद बनने की कोशिश करो. हर व्यक्ति अलग है.