November 25, 2024

महाराष्ट्र MLC चुनाव में भाजपा को करारा झटका, गडकरी और फडणवीस के गढ़ नागपुर में भी हारी

0

महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में 5 सीटों के एमएलसी चुनाव में भाजपा और एकनाथ शिंदे गुट को करारा झटका लगा है। 5 सीटों में से महज एक कोंकण सीट पर भाजपा को जीत मिल सकी है। भाजपा को सबसे बड़ा झटका नागपुर में लगा है, जहां से डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी आते हैं। नागपुर डिविजन की शिक्षक एमएलसी सीट पर भाजपा उम्मीदवार नागो गनार को करारी हार झेलनी पड़ी है। वह यहां से एमएलसी थे और सिटिंग कैंडिडेट का हारना भाजपा के लिए नागपुर में फजीहत जैसा है, जहां आरएसएस का मुख्यालय भी है। महाविकास अघाड़ी के उम्मीदवार सुधाकर अडबाले को 16,700 मत हासिल हुए, जबकि भाजपा कैंडिडेट को महज 8,211 वोट ही मिल सके।

महाविकास अघाड़ी को 5 सीटों में से 2 पर जीत मिल चुकी है। इसके अलावा नासिक से निर्दलीय उम्मीदवार सत्यजीत ताम्बे को जीत हासिल हुई है। वह कांग्रेस के नेता था, लेकिन निर्दलीय उतर गए थे। पार्टी ने उन्हें निलंबित कर दिया था। जीत के बाद ताम्बे का कहना है कि वह जल्दी ही अपने अगले राजनीतिक कदम के बारे में फैसला लेंगे। अमरावती की स्नातक एमएलसी सीट पर भी महाविकास अघाड़ी के धीरज लिंगाड़े आगे चल रहे हैं। लिंगाड़े कांग्रेस के नेता रहे हैं। उनके अलावा औरंगाबाद की स्नातक एमएलसी सीट से एनसीपी के विक्रम काले ने जीत हासिल की है। 
 
भाजपा को इस चुनाव में महज कोंकण शिक्षक एमएलसी सीट से ही जीत मिल पाई है। यहां से भाजपा के कैंडिडेट दयानेश्वर म्हात्रे को जीत मिली है। जानकारों का कहना है कि पुरानी पेंशन स्कीम लागू न कर पाने के स्टैंड का नुकसान भाजपा को उठाना पड़ा है। दरअसल डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि सरकार पुरानी पेंशन स्कीम पर वापस नहीं जा सकती। हालांकि स्नातक और शिक्षक वोटरों का मूड देखते हुए फडणवीस और शिंदे दोनों के ही तेवर नरम पड़े थे। दोनों ने कहा था कि वे ओपीएस के खिलाफ नहीं है। हालांकि इसका कोई फायदा नहीं हुआ और एमएलसी इलेक्शन में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है।
 
भाजपा के लिए 5 में से 1 ही सीट जीत पाना झटका है। लेकिन नागपुर की हार उसे ज्यादा सताने वाली है। विदर्भ क्षेत्र को भाजपा का गढ़ माना जाता है, जिसमें नागपुर भी पड़ता है। यहां से हार का संदेश 2024 के आम चुनाव में भी भारी पड़ेगा। यहां लोकसभा की कुल 10 सीटें आती हैं, जिनमें से 9 सीटों पर भाजपा और शिवसेना गठबंधन ने 2019 में जीत हासिल की थी। अब दोनों अलग हैं। ऐसी स्थिति में भाजपा को नागपुर की हार दर्द देने वाली है और 2024 के लिए भी अच्छे संकेत नहीं माने जा रहे।
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *