भाजपा सरकार की ग्रामीण सभाओं से आदिवासी समाज को साधने की कोशिश शुरू
भोपाल
चुनाव से पहले ग्रामीण सभाओं के जरिये आदिवासी समाज को साधने की कोशिश भाजपा सरकार ने की शुरू। प्रदेश में पेसा एक्ट के नियम लागू करने के बाद अब सरकार का फोकस इसके क्रियान्वयन और आदिवासी क्षेत्रों की ग्रामसभाओं और आदिवासी समाज को इसका लाभ दिलाने पर है। इसको लेकर मुख्य सचिव ने 6 फरवरी को सभी संबंधित विभागों के अफसरों को एक्शन संबंधी रिपोर्ट के साथ तलब किया है। इस बैठक में विभागों के प्रस्ताव पर चर्चा के बाद उसे एग्जीक्यूट किए जाने पर चर्चा की जाएगी। आगामी विधानसभा चुनाव के पहले इसे पूरी तरह क्रियान्वित करने पर फोकस किया जा रहा है। कलेक्टर कमिश्नर कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा पेसा नियमों का लाभ दिलाने के लिए दिए गए निर्देशों के बाद अब सभी विभाग इसकी तैयारी में जुट गए हैं। इस मामले में सबसे अधिक काम पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के पास है क्योंकि पेसा एक्ट के नियम बनाने का काम इसी विभाग द्वारा किया गया है। इसमें जिन विभागों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है उसमें पंचायत और ग्रामीण विकास के अलावा महिला और बाल विकास, वन, राजस्व, खनिज, जल संसाधन, श्रम, पुलिस विभाग की भूमिका है। इन सभी विभागों के वर्क प्लान तैयार कराए जाने के बाद पेसा प्रभावित 20 जिलों में इसे भेजकर उस पर अमल कराने को कहा जाएगा। मसलन गांवों में वन संसाधन नियंत्रण समिति का गठन हो गया है तो वह समिति कैसे काम करेगी और तेंदूपत्ता संग्रहण का काम होने पर उसके विपणन के लिए मार्केटिंग और खरीदी एजेंसी कौन होगी? यह सब काम अगले तीन माह के भीतर कराकर उसका लाभ दिलाने का काम किया जाना है। इसी तरह गौण खनिजों के मामले में भी की जाने वाली कार्यवाही का काम कैसे होगा, यह विभाग बताएगा।
क्रियान्वयन के लिए इन पर होगा फोकस
पेसा नियम-2022 के प्रावधानों की जानकारी देने उनके प्रचार-प्रसार तथा आवश्यक प्रशिक्षण का काम काफी हद तक हो चुका है। इसलिए सरकार ने अब इसके आगे की प्रक्रिया के लिए कहा है। प्रदेश के 20 जिलों के 89 विकासखंड के 11577 ग्रामों में पेसा नियम लागू हुए हैं। मुख्यमंत्री चौहान ने बैंक खाते खुलवाने, शांति एवं विवाद निवारण समिति, ग्रामों में वन संसाधन नियंत्रण समिति गठन तथा तेन्दूपत्ता संग्रहण एवं विपणन कार्य के लिए काम करने को कलेक्टरों को निर्देशित किया है। राजस्व विभाग में फौती नामांतरण का कोई प्रकरण शेष न रहे और वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में परिवर्तित करने के लिए समय-सीमा तय कर कार्य किया जाए। इसके लिए भी निर्देश दिए गए हैं।