रविदास जयंती पर सिंधिया के इलाके में कमलनाथ का शक्ति प्रदर्शन
ग्वालियर
कांग्रेस को 2018 के विधानसभा चुनाव में दलित वोटरों की बदौलत ही ग्वालियर चंबल अंचल में 33 साल बाद ऐतिहासिक कामयाबी हासिल हुई थी. यही वजह है 2023 में भी ग्वालियर चंबल अंचल के दलित वोटरों पर कांग्रेस की नजर है. दलित वोटरों को रिझाने के लिए 5 फरवरी को कांग्रेस ग्वालियर में रविदास जयंती पर बड़ा आयोजन करने जा रही है. इसमें पीसीसी चीफ पूर्व सीएम कमलनाथ कई कई दिग्गज कांग्रेसी शामिल होंगे. रविदास जयंती के कार्यक्रम के बहाने कांग्रेस दलित वोटरों पर अपनी पकड़ मजबूत करेगी.
कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में मिशन 2023 की तैयारियां शुरू कर दी है. इसी के तहत दलित मतदाताओं को रिझाने के लिए कांग्रेस रविदास जयंती पर 5 फरवरी को बड़े आयोजन करने जा रही है. पूर्व सीएम पीसीसी चीफ कमलनाथ खुद ग्वालियर में रविदास जयंती के कार्यक्रम में शामिल होने आ रहे हैं. इसमें कमलनाथ सहित कई दिग्गज कांग्रेसी जुटेंगे. कमलनाथ के कार्यक्रम को कामयाब बनाने की तैयारियों में कांग्रेसी जुट गए हैं. कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार का दावा है, कांग्रेस पार्टी दलितों की सच्ची हितैषी पार्टी है. बीजेपी कई गुटों में बंट गई है इसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा और 2023 में कांग्रेस की सत्ता में वापसी होगी.
2018 में ग्वालियर चंबल के कारण मिली थी सत्ता
ग्वालियर चंबल अंचल की 7 सीटें SC के लिए आरक्षित हैं. वहीं अन्य 27 सीटों पर भी दलित वोटरों की बड़ी तादाद है. 2018 में दलित वोटरों की नाराजगी के कारण अंचल में बीजेपी का सफाया हो गया था. BJP यहां 34 में से महज 7 सीटों पर सिमट गई थी. कांग्रेस ने 1985 के बाद ऐतिहासिक कामयाबी हासिल करते हुए 34 में 26 सीटें जीती थीं. मध्यप्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी थी.
सिंधिया का दलबदल, सत्ता का फेरबदल
2020 में सिंधिया के दल बदलने के बाद कांग्रेस का तख्तापलट हुआ और भाजपा की शिवराज सरकार की वापसी हुई थी. यही वजह है कि कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन हासिल करने के लिए ग्वालियर चंबल अंचल में दलित मतदाताओं को रिझाने के लिए संत रविदास की जयंती पर बड़ा आयोजन कर रही है. उधर भाजपा ने कांग्रेस के कार्यक्रम पर निशाना साधते हुए कहा दलितों की सबसे विरोधी पार्टी कांग्रेस है. जबकि भाजपा ने दलितों को सम्मान देने का काम किया है. भाजपा ऐसी पार्टी है जिसने डॉक्टर अंबेडकर स्मारक सहित अन्य काम किए हैं. भाजपा ने ही दलितों का उत्थान करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं.
ग्वालियर चंबल में कांग्रेस-बीजेपी 50-50
ग्वालियर चंबल अंचल में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस सीटों के लिहाज से 50-50 हैं. 2018 में कांग्रेस ने 34 में से 26 सीटें जीती थीं. भाजपा को 7 और एक सीट BSP ने जीती थी. 2020 में सिंधिया के पार्टी छोड़ने के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस 26 से सिमटकर 17 पर आ गई. BJP 7 से बढ़कर 16 पहुंच गई. इसके बाद BSP के संजू कुशवाहा ने BJP का दामन थाम लिया. जिसके बाद अंचल की 34 में से 17 सीटें बीजेपी और 17 सीटें कांग्रेस के पास हैं. 2023 में जो भी ग्वालियर चंबल अंचल में बढ़त हासिल करेगा मध्य प्रदेश में सत्ता उसी की बनेगी. इसलिए इस चुनाव में दलित मतदाता जीत में सबसे अहम कड़ी साबित होंगे. यही वजह है कि ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलित मतदाताओं को रिझाने के लिए जोर लगा रही हैं.