मैत्री/प्राइवेट कृत्रिम गभार्धान प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले छात्र सम्मानित
दुर्ग
भारत सरकार की राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना अंतर्गत मैत्री/प्राइवेट कृत्रिम गभार्धान प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले प्रशिक्षणार्थियों दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय, दुर्ग के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र अंजोरा के सभागार में आयोजित समारोह में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया।
प्रमाण पत्र वितरण का कार्यक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.(कर्नल) एन.पी.दक्षिणकर के मुख्य आतिथ्य, निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ.संजय शाक्य की अध्यक्षता, मैत्री/प्राइवेट कृत्रिम गभार्धान प्रशिक्षण के नोडल अधिकारी तथा प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष डॉ. एम.के. अवस्थी,कृषि विज्ञान केंद्र के समन्वयक डॉ.व्ही.एन.खुणे, विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. दिलीप चौधरी एवं प्रशिक्षणार्थियों की गरिमामय उपस्थिति में संपन्न किया गया।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन पर 28 प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। नोडल अधिकारी डॉ.एम.के.अवस्थी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए अपने उद्बोधन में बताया कि भारत सरकार द्वारा विश्वविद्यालय के अंतर्गत मैत्री/प्राइवेट कृत्रिम गभार्धान प्रशिक्षण के लिये चार केंद्रों जिसमें पशुचिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय अंजोरा, वेटनरी पॉलिटेक्निक जगदलपुर, सूरजपुर एवं महासमुंद को मान्यता प्रदान की है। बहुउद्देशीय कृत्रिम गभार्धान तकनीशियन ग्रामीण भारत का संक्षिप्त नाम मैत्री है। निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ.संजय शाक्य ने इस अवसर पर बताया कि 3 माह की अवधी का यह प्रशिक्षण कार्यक्रम जिसमें प्रशिक्षणार्थियों को एक माह वेटनरी कॉलेज अंजोरा एवं 2 माह की अवधि अन्य प्रक्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया गया। भारत सरकार का लक्ष्य है कि पूरे भारतवर्ष में चालीस हजार मैत्री कृत्रिम गभार्धान केंद्र खोले जाएंगे ताकि अच्छी नस्ल के दुधारू पशु प्राप्त किए जा सके।