भाजपा का भरोसा, 2024 लोकसभा चुनाव की नैया पार लगाएगा बजट
नई दिल्ली
वार्षिक केंद्रीय बजट में, अधिकतर लोगों का ध्यान टैक्स स्लैब की ओर रहता है। बुधवार को केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बजट पेश किया और इस बजट के चुनावी समीकरणों के साथ-साथ टैक्स स्लैब में बदलाव की बात कही। इस बजट के राजनीतिक पहलू की व्याख्या करते हुए विश्लेषकों का कहना है कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह बजट इस साल होने वाले नौ राज्यों के विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में मदद करेगा, लेकिन चुनौती यह है कि भाजपा नेता और जनप्रतिनिधि कैसे इस बजट को जनता तक ले जाएंगे और वह इसका कितना फायदा उठा सकेंगे।
बजट की समझ के लिए बनाई गई
बजट की समझ को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए बीजेपी ने देशव्यापी अभियान की योजना बनाई है। सभी नेताओं से कहा गया है कि वे अपने जिले में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करे और उसके जरिए आम लोगों को इस बजट के बारे में समझाए। बीजेपी ने श्रमिक वर्ग का विश्वास जीता क्योंकि यह पार्टी उन लोगों के अनुकूल काम करती है। आम आदमी और देश के गरीब लोगों के लिए इस बजट में बहुत कुछ है। सबसे ज्यादा राहत टैक्स के रूप में मिलने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट की तारीफ करते हुए कहा कि यह विकसित भारत के संकल्प को आधार प्रदान करता है। केंद्रीय मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह सहित भाजपा नेताओं ने भी 'अमृत काल' बजट की सराहना की।
विपक्ष ने बजट का बताया अवसरवादी
विपक्ष ने आरोप लगया है कि इस साल का बजट चुनाव के लिए बनाया गया है, इसका देश के कल्याण से कोई लेना-देना नहीं है। कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि बजट जनविरोधी है और इसने देश में गरीबों पर ध्यान नहीं दिया गया है और बेरोजगारी का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि बजट 2023 पूरी तरह से अवसरवादी है।
विपक्ष के कुछ नेताओं ने बजट को सराहा
कुछ विपक्षी नेताओं ने बजट की सराहना भी की थी। तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर और पी. चिदंबरम के बेटे तथा तमिलनाडु के शिवगंगा से लोकसभा सांसद कार्ति चिदंबरम ने वार्षिक बजट की प्रशंसा की। थरूर ने कहा, "टैक्स में छूट अच्छी बात है, लेकिन 'मनरेगा' के बारे में किसी ने कुछ नहीं सुना। गांवों में बेरोजगारों के लिए क्या किया गया है? दरअसल, हमने बेरोजगारी शब्द भी नहीं सुना, जो देश का एक बहुत बड़ा मुद्दा है।" उन्होंने कहा, "महंगाई के मामले में भी ऐसा ही था, वे कर में छूट देंगे, लेकिन वे जो भी देंगे, बढ़ती कीमतों की वजह से आप बचाए गए पैसे खर्च कर देंगे।"