एक महीने में शाह का दूसरी बार त्रिपुरा दौरा, BJP के लिए क्यों अहम है पूर्वोत्तर की लड़ाई
अगरतला
त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का आज एक महीने में दूसरी बार राज्य दौरा करेंगे। इससे पहले 5 जनवरी को शाह यहां पहुंचे थे। आज शाह खोवाई जिले के खोवाई और दक्षिण त्रिपुरा जिले के संतिरबाजार में दो चुनावी रैलियों को संबोधित करेंगे। केंद्रीय मंत्री आज अगरतला शहर में एक रोड शो में भी शामिल होंगे। 16 फरवरी को होने वाले चुनाव से पहले बीजेपी पूरा जोर लगाना चाहती है और कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। भगवा पार्टी के लिए इस बार 2018 के रिजल्ट दोहराने की चुनौती है। चुनौती कड़ी है और अहम भी। क्योंकि मिशन 2024 के लिए इस पूर्वोत्तर राज्य को पार पाना जरूरी है और कठिन इसलिए क्योंकि ग्रेटर टिपरालैंड की मांग बीजेपी की राह में रोड़े खड़ी कर सकती है, कैसे जानते हैं….
अमित शाह के राज्य में आगमन से पहले, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा ने शनिवार को राज्य विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में अमित शाह की 6 फरवरी की रैली की तैयारी का निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री ने यह सुनिश्चित करने के लिए दक्षिण त्रिपुरा के सांतिरबाजार और खोवाई जिले के खोवाई में दोनों रैली स्थलों का दौरा किया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सब कुछ ठीक हो।
बीजेपी ने 2018 के विधानसभा चुनावों में वामपंथी गढ़ त्रिपुरा में शानदार जीत दर्ज की। अपनी चुनावी जीत के बाद भाजपा ने बिप्लब देब को त्रिपुरा के मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया और मई 2022 में देब को राज्यसभा भेजकर माणिक साहा को सीएम बनाया।
2018 से पहले बीजेपी ने त्रिपुरा में एक भी सीट नहीं जीती थी लेकिन, मोदी फैक्टर के दम पर साल 2018 में वामपंथी दल सीपीएम के गढ़ को ध्वस्त करके त्रिपुरा में सत्ता बनाई। यहां बीजेपी ने 51 सीट पर चुनाव लड़ा और 44 पर जीत दर्ज की। बीजेपी के साथ IPFT ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था। हालांकि टिपरा मोथा ने त्रिपुरा ट्राइबल एरियाज ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल के अंतर्गत 20 विधानसभा सीटों वाले इलाकों में बीजेपी और IPFT के गठबंधन को हराया था। जो इस वक्त बीजेपी के लिए चिंता की बात है।
आदिवासी बहुल इलाकों में टिपरा मोथा की पैठ
टिपरा मोथा के प्रमुख देब बर्मा ऐलान कर चुके हैं कि वो 60 में से 45 सीट पर चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने अपनी ग्रेटर टिपरालैंड वाली अलग राज्य की मांग को बरकरार रखा है। बीजेपी के लिए मुश्किल बात यह है कि IPFT भी ग्रेटर टिपरालैंड वाली मांग पर टिपरा मोथा के साथ खड़ी नजर आती है। मामला आदिवासी बहुल इलाकों का भी है। राज्य में तकरीबन 31 फीसदी आबादी आदिवासी बहुल इलाकों में रहती है। आदिवासियों का टिपरा मोथा को समर्थन है।
टिपरा मोथा से गठबंधन को तैयार बीजेपी
बीजेपी त्रिपुरा चुनाव में वामपंथी दलों और कांग्रेस के खिलाफ टिपरा मोथा को साथ लेने के लिए तैयार है। लेकिन, इसके लिए उन्होंने अलग राज्य की मांग को अस्वीकार कर दिया है। बीजेपी की तरफ से असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि अलग राज्य की मांग पूर्वोत्तर राज्यों में अलग तरह की दिक्कतों को बढ़ावा दे सकता है।
शाह का दो महीने में दूसरा दौरा
केंद्रीय गृह मंत्री का इस साल राज्य का यह दूसरा दौरा है। इससे पहले 5 जनवरी को, उन्होंने दो रथ यात्राओं में भाग लिया था- एक उत्तर त्रिपुरा के धर्मनगर से और दूसरी दक्षिण त्रिपुरा के सबरूम से। हाल ही में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा राज्य के दौरे पर थे, जहां उन्होंने गोमती जिले के अमरपुर में जनसभा को भी संबोधित किया। पार्टी त्रिपुरा में एक और जीत दर्ज करने के लिए खुद को तैयार कर रही है और उसने अपने पूर्व सहयोगी इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के साथ गठबंधन किया है, जिसने पांच विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। जबकि, भाजपा इस बारी 55 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है।