अब ईएनसी-सीई टेंडर कमेटी के अध्यक्ष नहीं होंगे
भोपाल
प्रदेश में शासकीय भवनों के निर्माण के लिए बनाए गए मध्य प्रदेश भवन विकास निगम के प्रमुख अभियंता और मुख्य अभियंता अब टेंडर मंजूर करने या निरस्त करने की कमेटी के अध्यक्ष नहीं होंगे। पूर्व में साढ़े सात करोड़ रुपए तक की लागत वाले टेंडर की मंजूरी के लिए बनाई गई कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था। इस बीच यह बात सामने आई कि प्रमुख अभियंता और मुख्य अभियंता को कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है जबकि इन्हें कमेटी की रिपोर्ट पर निर्णय लेने का अधिकार शासन ने दिया है। इसके बाद पूर्व में जारी आदेश की गलती को ठीक करते हुए नई व्यवस्था तय की गई है। इसके बाद अब इस कमेटी में महाप्रबंधक स्तर के अधिकारी होंगे और वे अपनी रिपोर्ट प्रमुख अभियंता और मुख्य अभियंता को सौंपेंगे जिसके आधार पर साढ़े सात करोड़ तक के प्रोजेक्ट को मंजूरी दी जाएगी।
मध्य प्रदेश भवन विकास निगम द्वारा हाल में जारी आदेश में कहा गया है कि निगम द्वारा किए जाने वाले कामों के लिए टेंडर के तकनीकी और वित्तीय मूल्यांकन का काम छह अफसरों की कमेटी करेगी। यह कमेटी अनुशंसा के साथ प्रमुख अभियंता और मुख्य अभियंता को रिपोर्ट देगी। इस कमेटी में महाप्रबंधक तकनीकी, महाप्रबंधक वित्त और लेखा, उपमहाप्रबंधक निविदा, उपमहाप्रबंधक संबंधित संभाग, सहायक महाप्रबंधक तकनीकी और निविदा तथा प्रबंधक तकनीकी और निविदा शामिल रहेंगे।
पहले यह थी व्यवस्था
इसके पहले तय व्यवस्था में निविदा के तकनीकी और वित्तीय मूल्यांकन के बाद निर्णय लेने और अनुशंसा करने के लिए बनी कमेटी को प्रबंध संचालक को अपनी रिपोर्ट देना थी। इसको लेकर नवम्बर 2022 में जो बिड इवैल्यूएशन कमेटी बनी थी उसमें प्रमुख अभियंता और मुख्य अभियंता कमेटी के अध्यक्ष थे जबकि मुख्य महाप्रबंधक मानव संसाधन और प्रशासन, महाप्रबंधक वित्त और लेखा, महाप्रबंधक तकनीकी और उप महाप्रबंधक निविदा को सदस्य बनाया गया था।
दस करोड़ से अधिक के काम के लिए सीएस की कमेटी
इस कमेटी को 7.50 करोड़ रुपए तक की निविदा मंजूर और निरस्त किए जाने के अधिकार दिए गए थे। इससे अधिक और दस करोड़ रुपए तक के टेंडर की स्वीकृति और निरस्तगी का अधिकार प्रबंध संचालक को दिया गया था। दस करोड़ रुपए से अधिक के टेंडर के लिए एक अन्य कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी में मुख्य सचिव को अध्यक्ष और अपर मुख्य सचिव/ प्रमुख सचिव वित्त, प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग को सदस्य तथा प्रबंध संचालक मप्र भवन निर्माण कारपोरेशन को सदस्य सचिव बनाया गया था।
निगम के कामों में साढ़े सात करोड़ तक के टेंडर मंजूर करने का अधिकार प्रमुख अभियंता को है। पूर्व में कमेटी में ही अध्यक्ष बना दिया गया था तो अधिकार का मामला उलझ रहा था। इसलिए कमेटी में बदलाव किया गया है। निगम के गठन के बाद से अब तक दो हजार करोड़ रुपए से अधिक के काम पूरे करने के लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू हुई है। इसमें से दो दर्जन काम शुरू भी कर दिए गए हैं।
डीके पचौरी, प्रमुख अभियंता भवन विकास निगम