लोकसभा चुनाव में फिर ओपी राजभर को साधेगी भाजपा, UP में बदलाव की तैयारी
लखनऊ
लोकसभा चुनाव में अभी करीब सवा साल का वक्त बाकी है, लेकिन भाजपा ने तैयारियां तेज कर दी हैं। खासतौर पर सबसे ज्यादा 80 सीटों वाले यूपी में भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती क्योंकि दिल्ली का रास्ता लखनऊ से ही होकर जाता है। इसी कड़ी में भाजपा अपने संगठन के भी पेच कसना चाहती है। जल्द ही भाजपा के प्रदेश संगठन में अहम बदलाव हो सकते हैं। इसके अलावा लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा और ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के बीच गठबंधन की संभावना भी बढ़ गई है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने कहा कि संगठन में बहुत बड़ा परिवर्तन नहीं होगा, लेकिन बहुत जल्द पुनर्गठन किया जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा, ''राजभर जी (सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर) हमारे साथ रहे हैं और निश्चित रूप से अगर विचारधारा से सहमत हैं तो उन्हें अपने साथ काम करने का पार्टी अवसर देगी, ऐसा मुझे विश्वास है।' भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की पिछले महीने लखनऊ में हुई बैठक में भूपेंद्र सिंह चौधरी ने लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी 80 सीट जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया था। इसके लिए पार्टी पदाधिकारियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय की थी। हालांकि चौधरी से अब तक उनकी प्रदेश कमेटी गठित न होने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा,'मुझे पार्टी ने मध्य सत्र में अध्यक्ष के रूप में कार्य करने का अवसर दिया।'
भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि संगठन के कुछ लोग सरकार में मंत्री बने हैं तो मैंने आंशिक पुनर्गठन के लिए पार्टी के नेतृत्व से निवेदन किया और मुझे उसकी अनुमति मिली है। जल्द ही हम इस प्रक्रिया में आगे बढ़ेंगे। बहुत बड़ा परिवर्तन नहीं होगा लेकिन आंशिक पुनर्गठन किया जाएगा। उन्होंने कहा, 'भाजपा की एक लोकतांत्रिक व्यवस्था है। देश में इस वर्ष नौ राज्यों में और अगले वर्ष लोकसभा का चुनाव होना है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव होना है तो भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति ने राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल जून 2024 तक बढ़ाया है और उसी क्रम में प्रदेश, जिलों, मंडलों का कार्यकाल 2024 तक बढ़ गया है।'
पिछड़ी जातियों में प्रभावी जाट समुदाय से आने वाले भूपेंद्र सिंह चौधरी को भाजपा ने पिछले वर्ष अगस्त में पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था और उन्होंने इसके बाद योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की सरकार में पंचायती राज मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। संगठन और सरकार में दोहरा दायित्व निभा रहे लोगों के बारे में जब उनसे पूछा गया कि भाजपा में तो एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत है और आपने भी प्रदेश अध्यक्ष बनते ही मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन कई पदाधिकारी मंत्री बनने के बाद भी संगठन के पदों पर बने हैं। इस पर उन्होंने कहा कि उनका संगठन के रोजमर्रा के कामकाज में कोई दखल नहीं है।