November 16, 2024

भारत का तुर्की में ‘ऑपरेशन दोस्त’, पाकिस्तान की बढ़ गई चिंता

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नईदिल्ली
तुर्की में आए भीषण भूकंप के बाद राहत और बचाव कार्य तेजी से जारी है जिसमें भारत एक बड़ी भूमिका निभा रहा है. भारत ने तुर्की में 'ऑपरेशन दोस्त' के तहत 6 विमानों से राहत सामग्री, 30 बिस्तरों वाला मोबाइल अस्पताल, मेडिकल सामग्री सहित सभी जरूरी सामान पहुंचाए हैं. भारत की एनडीआरएफ की दो टीमें, जिसमें एक डॉग स्क्वॉड भी शामिल है, तुर्की में बचाव कार्य में जुटी है. तुर्की ने भारत की तरफ से दी जा रही मदद के लिए उसका आभार जताते हुए उसे अपना सच्चा दोस्त कहा है.

तुर्की और भारत के रिश्ते पिछले कुछ दशकों में ठीक नहीं रहे हैं, लेकिन भारत मानवीय मदद में हमेशा से आगे रहा है. भारत जोर-शोर से तुर्की की मदद में जुटा हुआ है. वहीं, पाकिस्तान खुद आर्थिक संकट में फंसा हुआ है, ऐसे में वह तुर्की की बहुत ज्यादा मदद नहीं कर पा रहा है. पाकिस्तानी विश्लेषकों को भारत और तुर्की की करीबी का डर सताने लगा है. पाकिस्तानी मीडिया में भी इसे लेकर खूब चर्चा हो रही है.

पाकिस्तानी विश्लेषकों का कहना है कि भारत इस आपदा को एक कूटनीतिक अवसर के तौर पर देख रहा है और मदद के जरिए अपने प्रति तुर्की के रुख को बदलने की कोशिश कर रहा है. भारत मदद के जरिए तुर्की को जता रहा है कि वो उसका हमदर्द है.

पाकिस्तान के राजनीतिक विश्लेषक कमर चीमा का कहना है कि भारत तुर्की को भारी मात्रा में मदद भेज रहा है, यह पीएम मोदी की स्मार्ट रणनीति का हिस्सा है.

उन्होंने कहा, 'इस तरह की मानवीय आपदा कहीं भी आ सकती है. दूसरी बात कि ऐसी आपदाएं, एक तरह से अवसर भी हैं. भारत मुस्लिम वर्ल्ड से अपनी नजदीकी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. पाकिस्तान और भारत की पिछली सरकारों ने जो गैप बनाया था कि तुर्की मुस्लिम देश है और इसे तो पाकिस्तान के साथ ही रहना है, अब वो गैप खत्म हो चुका है. हालात इस कदर बदले हैं कि पाकिस्तान मुस्लिम वर्ल्ड को कश्मीर की जो चूरन बेचता था, वो बंद हो गया है. इसका कारण यह है कि मुस्लिम देशों को अब कश्मीर में कोई दिलचस्पी रही नहीं, वो तो खुद इजरायल से अपने रिश्ते ठीक करने में लगे हैं. कश्मीर के मसले को वो भूल चुके हैं.'

तुर्की के लिए पाकिस्तान का दांव पड़ गया उलटा

पाकिस्तान को एक बड़ा कूटनीतिक झटका तब लगा जब तुर्की ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को भूकंप प्रभावित देश का दौरान करने से रोक दिया. दरअसल, सोमवार को तुर्की में आए भूकंप के बाद मंगलवार को पाकिस्तान के पीएम शरीफ ने तुर्की के साथ अपनी एकजुटता दिखाने के लिए तुर्की दौरे की घोषणा कर दी.

पाकिस्तान की सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने ट्विटर पर लिखा, 'पीएम शहबाज शरीफ तुर्की दौरे पर कल सुबह अंकारा रवाना होंगे. इस दौरान वो भूकंप से हुए जानमाल के नुकसान को लेकर राष्टपति एर्दोगन के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करेंगे.'
इस घोषणा के कुछ समय बाद ही तुर्की के राष्ट्रपति के पूर्व विशेष सहायक आजम जमील ने एक ट्वीट कर कहा कि तुर्की फिलहाल अपने देश के लोगों की देखभाल कर रहा है, वो किसी और की मेजबानी नहीं करना चाहता. उन्होंने ट्वीट किया, 'इस वक्त तुर्की बस अपने लोगों की देखभाल करना चाहता है, इसलिए कृप्या राहत कर्मचारियों को ही भेजें.'
   

पाकिस्तान को इस जवाब से अपमानित होना पड़ा और उसका दांव उलटा पड़ गया. पाकिस्तान ने पीएम शरीफ का तुर्की दौरा रद्द करते हुए कहा कि दौरा राहत कार्य और खराब मौसम को देखते हुए रद्द की गई है. एक तरफ जहां पाकिस्तान को अपने बेहद करीबी दोस्त तुर्की से बेरूखी का सामना करना पड़ रहा है वहीं, दूसरी तरफ भारत राहत और बचाव कार्य में तुर्की की मदद कर वहां के लोगों और नेताओं की वाहवाही बटोर रहा है.

पाकिस्तान के करीब रहा है तुर्की

साल 2002 में जब राष्टपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन की पार्टी सत्ता में आई तब तुर्की खुद को मुस्लिम वर्ल्ड का नेता बनाने की कोशिश में जुट गया. इसी कोशिश में एर्दोगन ने मुस्लिम देशों के कश्मीर जैसे विवादित मुद्दों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर रखना शुरू किया. एर्दोगन ने कई दफे पाकिस्तान का पक्ष लेते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के खिलाफ बात की.

2019 में संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में एर्दोगन ने कश्मीर का मुद्दा उठाया था. उन्होंने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय पिछले 72 सालों से कश्मीर के मुद्दे को सुलझाने में नाकाम रहा है.

फरवरी 2020 में जब एर्दोगन पाकिस्तान पहुंचे थे तब उन्होंने पाकिस्तानी संसद में कश्मीर मुद्दे पर भारत को घेरा था. एर्दोगन ने कहा था कि कश्मीर पाकिस्तान के लिए जितना अहम है, तुर्की के लिए भी यह मुद्दा उतना ही अहम है.   

एर्दोगन ने कहा था, 'हमारे कश्मीरी भाई-बहन दशकों से पीड़ित हैं. हम कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ हैं. हमने इस मुद्दे को यूएन की आम सभा में भी उठाया था. कश्मीर के मुद्दे को युद्ध से नहीं हल किया जा सकता बल्कि इसे ईमानदारी और निष्पक्षता से ही सुलझाया जा सकता है. तुर्की इस काम में पाकिस्तान के साथ है.' उनके इस संबोधन पर पाकिस्तान की संसद तालियों से गूंज उठी थी.

 

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