गड़बड़ी रोकने मप्र बोर्ड परीक्षाओं की उत्तरपुस्तिका में बारकोड होगा लागू
भोपाल
माध्यमिक शिक्षा मंडल(माशिमं) की 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षा के दौरान किसी तरह की गड़बड़ी या हेरफेर ना हो, इस कारण इस कई बदलाव किए जा रहे हैं। इस साल परीक्षा में विद्यार्थियों को अतिरिक्त उत्तरपुस्तिका नहीं मिलेगी। उन्हें मुख्य उत्तर पुस्तिका में ही लिखना पड़ेगा। इस बार 20 पेज के बदले एक ही 32 पेज की मुख्य उत्तरपुस्तिका होगी। उत्तरपुस्तिकाओं में बदलाव ना हो पाए, इसके लिए मंडल ने इस बार उत्तरपुस्तिकाओं में बारकोड लगाने का निर्णय लिया है। इससे उन विद्यार्थियों को राहत मिलेगी, जिनकी कापियों में बदलाव होने के कारण कम अंक मिलते थे।
मंडल इस बार पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 10वीं के तीन विषयों और 12वीं में एक विषय की उत्तर पुस्तिका में बारकोड लागू होगा। इस बार 20 पेज के बदले उत्तरपुस्तिकाएं 32 पेजों की होगी, जिससे विद्यार्थियों को अतिरिक्त कापियां नहीं लेनी पड़ेंगी। वहीं प्रायोगिक परीक्षा में 10वीं के विद्यार्थियों को आठ एवं 12वीं के छात्र-छात्राओं को 12 पेज की कापी मिलेगी।
इन विषयों की कापी में होगा बारकोड
माशिमं के अधिकारियों ने बताया कि इस वर्ष 10वीं के गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान एवं 12वीं में अंग्रेजी विषय की उत्तरपुस्तिकाओं में बारकोड लागू किया गया है। अभी तक कापियों पर स्टीकर लगाए जाते थे। इससे कोई भी स्टीकर निकाल देता था। इस साल इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जा रहा है। वहीं अतिरिक्त कापियों को लेकर पिछले तीन वर्ष की कापियों के अध्ययन के बाद 32 पेज की कापी करने का निर्णय लिया गया है। अध्ययन में पाया गया कि इन वर्षों में किसी भी विद्यार्थी ने तीन से ज्यादा अतिरिक्त कापी नहीं ली है।
करीब 18 लाख विद्यार्थी होंगे शमिल
माशिमं की 10वीं की परीक्षा एक और 12वीं की परीक्षा दो मार्च से शुरू होगी। दोनों परीक्षाओं में 18 लाख 22 हजार विद्यार्थी शामिल होंगे। यह संख्या पिछले वर्ष के मुकाबले 94 हजार 422 अधिक है।पिछले वर्ष दोनों कक्षाओं में 17 लाख 27 हजार 578 विद्यार्थी शामिल हुए थे। वहीं 12वीं में पिछले साल से डेढ़ लाख अधिक विद्यार्थी हैं।12वीं में कोविड के बाद विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी है।इस साल 12वीं में आठ लाख 57 हजार विद्यार्थी शामिल होंगे, जबकि पिछले साल छह लाख 97 हजार 880 विद्यार्थी शामिल थे।
यह होगा फायदा
– उत्तरपुस्तिकाओं में बारकोड होने से गड़बड़ी पर रोक लगेगी।
– मूल्यांकनकर्ता पहचान नहीं पाएंगे कि किस विद्यार्थी की कापी है।
– अतिरिक्त कापी बदल जाने या खोने की आशंका खत्म होगी।
– विद्यार्थियों को 20 की जगह 32 पेज की कापी मिलेगी, जो कि तीन अतिरिक्त कापी के बराबर होगी।