November 17, 2024

12 साल में 16 लाख भारतीय परदेश में जाकर बसे

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नई दिल्ली

संसद का बजट सत्र 2023 जारी है। राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में जब विदेश मंत्री एस जयशंकर कहाकि, बीते 12 साल में 16,63,440 लोगों ने अपने देश भारत को छोड़कर दूसरे देश की नागरिकता ले ली है। तो सुनने वाले लोग चौंक गए। इसमें से 2,25,620 ने साल 2022 में भारतीय नागरिकता को अलविदा कहा है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार, पिछले तीन साल में 5 भारतीय नागरिकों ने यूएई की नागरिकता हासिल की है। बताया जा रहा है कि, पढ़ाई, नौकरी और कारोबार भारत की नागरिकता छोड़ने वालों के लिए प्रमुख तीन वजहें हैं। इसके अलावा विदेश की नागरिकता हासिल करने के लिए रहन-सहन का अच्छा स्तर भी भारतीयों को लुभाता है। इसी वजह से बहुत सारे लोग अमेरिका, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया और कनाडा में जाकर बस गए हैं।

आखिर क्यों छोड़ रहे है भारतीय देश, विदेश मंत्री ने बताई संख्या

पिछले कुछ वर्षों में नागरिकता छोड़ने वाले भारतीय नागरिकों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। गुरुवार को राज्यसभा में विदेश मंत्री एस जयशंकर कहाकि, 2021 में 1.63 लाख और 2022 में 2.25 लाख लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा को बताया- मंत्रालय के पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार, अपनी भारतीय नागरिकता त्यागने वाले भारतीयों की संख्या 2015 में 1,31,489, 2016 में 1,41,603, 2017 में 1,33,049, 2018 में 1,34,561, 2019 में 1,44,017, 2020 में 85,256, 2021 में 1,63,370 और 2022 में 2,25,620 है। ऊपर दिए गए सभी आंकड़े भाजपा की मोदी सरकार आने के बाद के हैं।

मनमोहन सरकार में भी भारतीयों ने छोड़ा देश

संदर्भ के लिए विदेश मंत्री जयशंकर ने मनमोहन सरकार के दौरान के आंकड़े भी बताए। उन्होंने कहा कि, 2011 में नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या 1,22,819 थी। 2012 में ये नंबर 1,20,923 था। फिर 2013 में यह 1,31,405 हो गया और 2014 में कुछ गिरकर 1,29,328 पर आ गया।

 16,63,440 लोगों ने ली 135 देशों की नागरिकता

विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया कि, इस तरह 2011 से अब तक यानि की 12 वर्ष में देश की नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या 16,63,440 हो गई है। उन्होंने बताया इन लोगों ने 135 देशों की नागरिकता हासिल की है। साल 2021 में भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की सबसे बड़ी संख्या संयुक्त राज्य अमेरिका (78,284) की नागरिकता लेने वालों की रही। दूसरे नंबर पर आस्ट्रेलिया रहा जहां 23,533 भारतीयों ने नागरिकता ली।

21,597 भारतीयों ने ली कनाडा की नागरिकता

इस सूची में तीसरे स्थान पर कनाडा रहा जहां 21,597 भारतीयों ने नागरिकता ली और चौथे नंबर इंग्लैंड रहा जहां 14,637 भारतीयों ने नागरिकता ली। जहां की नागरिकता लेने वाले भारतीयों की संख्या कम रही, वे देश हैं- इटली (5,986 भारतीय), न्यूजीलैंड (2,643), सिंगापुर (2,516), जर्मनी (2,381), नीदरलैंड (2,187), स्वीडन (1,841) और स्पेन (1,595)।

भारतीय संविधान में दोहरी नागरिकता की इजाजत नहीं

विदेश की नागरिकता लेने पर भारतीय नागरिकता स्वत: रद्द हो जाती है। भारतीय संविधान दोहरी नागरिकता रखने की इजाजत नहीं देता है। भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 के मुताबिक भारत के नागरिक रहते हुए आप दूसरे देश के नागरिक नहीं रह सकते। अगर कोई व्यक्ति भारत का नागरिक रहते हुए दूसरे देश की नागरिकता लेता है तो अधिनियम की धारा नौ के तहत उसकी नागरिकता खत्म की जा सकती है।

अच्छी लाइफस्टाइल के लिए लेते हैं नागरिकता

ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन रिव्यू, 2020 के अनुसार, अच्छी लाइफस्टाइल के लिए लोग नई नागरिकता लेते हैं। इसी के साथ अपराध दर बढ़ने या देश में व्यावसायिक अवसरों की कमी की वजह से भी लोग ऐसा करते हैं।

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