November 17, 2024

जम्मू में लिथियम मिलने से लगा भारत का जैकपॉट, बैटरी प्रोडक्शन के मामले में बनेगा आत्मनिर्भर

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नई दिल्ली
 विश्व के कई देश धीरे-धीरे अपने ट्रांसपोर्टेशन को आधुनिक करने के लिए ई-व्हीकल्स की ओर बढ़ रहे हैं। भारत में भी ई-व्हीकल्स को बढ़ावा देने का प्रयास जारी है, ऐसे में यहां पर लिथियम का भंडार मिलना भारत के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है। आपको बता दें, पहली बार भारत में लिथियम पाया गया है और यह थोड़ा बहुत नहीं बल्कि 59 लाख टन है। इससे भारत ने ऑस्ट्रेलिया और चिली के बाद तीसरे स्थान पर अपना नाम दर्ज कर लिया है, जिसके पास इतनी ज्यादा मात्रा में लिथियम है। लिथियम का इस्तेमाल लैपटॉप, फोन, ई-व्हीकल्स जैसे उपकरणों की बैट्री बनाने के लिए किया जाता है।

आयात के मामले में चौथे नंबर पर था भारत
अब तक भारत लिथियम के लिए दूसरे देशों पर निर्भर करता था, लेकिन हाल ही में जम्मू-कश्मीर के चुब्बी इलाके में पाए गए लिथियम से भारत का जैकपॉट लग गया है। खबरों के मुताबिक, अब तक भारत लिथियम का 96 फीसदी हिस्सा आयात किया करता था। वित्त वर्ष 2021-22 में भारत को लिथियम के आयात के लिए 13,838 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े थे। भारत लिथियम का इंपोर्ट करने वाले देशों के मामले में चौथे स्थान पर रहा है।
 

चीन और हॉन्गकॉन्ग पर निर्भर था भारत
भारत सबसे ज्यादा लिथियम चीन और हॉन्गकॉन्ग से इंपोर्ट करता था। आंकड़ों के मुताबिक, भारत जो लिथियम इंपोर्ट करता था, उसका 80 फीसदी हिस्से के लिए ये चीन पर निर्भर था। अब पाए गए लिथियम के बाद देश के लिथियम इंपोर्ट के समीकरण में भारी बदलाव देखने को मिलेगा। आपको बता दें, भारत में पाया गया 59 लाख टन लिथियम चीन में पाए जाने वाले कुल लिथियम का 4 गुना ज्यादा है।
 

लिथियम भंडार के मामले में तीसरे नंबर पर आया भारत
आंकड़ों के मुताबिक, विश्व में सबसे ज्यादा लिथियम का भंडार चिली में हैं, यहां कुल 93 लाख टन लिथियम है। इसके बाद दूसरे नंबर पर 63 लाख टन लिथियम भंडार के साथ ऑस्ट्रेलिया है। तीसरे नंबर पर 59 लाख टन लिथियम के साथ भारत, चौथे स्थान पर 27 लाख टन के साथ अर्जेंटिना और चीन 20 लाख टन लिथियम के साथ पांचवे स्थान पर आ गया है। लिथियम मिलने से भारत अब आत्मनिर्भरता के थोड़ा और करीब पहुंच गया है। हालांकि, इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए पहले ही भारत ने ऑस्ट्रेलिया, चिली, अर्जेंटीना और ब्राजिल जैसे देशों के साथ खदानों में हिस्सेदारी करने पर विचार कर रहा था। यहां तक कि अफ्रीकी देश, भारत से लिए गए कर्ज के बदले इसे अपने लिथियम खदानों में हिस्सेदारी देने के लिए तैयार भी हो गया है।

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