लाल सिग्नल को किसी भी सूरत में पार नहीं कर पाएगी ट्रेन, कवच सिस्टम खुद रोक देगा
मथुरा
ट्रेन के चालक को सिग्नल दिखे या ना दिखे इंजन में लगा कवच सिस्टम खुद ट्रेन को रोक देगा। शुक्रवार को इंजन में लगाए गए कवच सिस्टम का ट्रायल मथुरा में वृंदावन रोड से छाता के बीच किया गया, जो सफल रहा। दिल्ली मुम्बई रेल लाइन के बीच कवच सिस्टम को लगाया जाना है। ट्रेन के चालक को सिग्नल दिखे या ना दिखे लेकिन कवच सिस्टम को यह साफ नजर आएगा। ट्रेन को कितनी गति पर चलाना है, इसे कवच सिस्टम खुद तय करेगा। अगला सिग्नल कितनी देर बाद आएगा इसकी जानकारी भी यह सिस्टम ट्रेन के चालक को देगा।
इसे दिल्ली से मुम्बई तक के रेल ट्रैक पर लगाया जाना है। इसके लिए रेलवे लाइन के सहारे सिग्नल छतरियां लगाने का काम शुरू हो चुका है। शुक्रवार को आरडीएसओ के अधिकारियों की देख रेख में मथुरा से पलवल सेक्शन के बीच इसका ट्रायल किया गया। इससे चालक को ट्रेन चलाने में काफी सुविधा मिलेगी। भीषण कोहरे में भी सिगनल इंजन की केबिन में उपलब्ध रहेंगे। इससे ट्रेन दुर्घटनाओं को पूरी तरह से रोका जा सकेगा।
एएसटीई पीएस चंदेल ने कवच सिस्टम की खूबियों के बारे में बताया कि जिस भी इंजन में यह लगा होगा। उसके चालक को लाल सिग्नल यदि नहीं दिखेगा तो सिस्टम खुद ही चालक को सचेत करेगा। इसके बाद भी चालक ट्रेन की गति को कम नहीं करेगा, तो सिस्टम खुद ही गति नियंत्रित कर देगा। इतना ही नहीं कवच ट्रेन को आपातकालीन ब्रेक लगा कर रोक भी देगा, लेकिन किसी भी तरह का कोई हादसा नहीं होने देगा।
पांच करोड़ की आएगी लागत
कवच सिस्टम के पूरी तरह से चालू करने के लिए मथुरा से पलवल खंड के बीच करीब पांच करोड़ रुपये की लागत आएगी। मथुरा और पलवल सेक्शन के बीच कवच सिस्टम लगाने का काम कुल 84 किलोमीटर में डिप्टी सीएसटीई टूंडला कुश गुप्ता के निर्देशन किया जा रहा है, जिसमें से 22 किलोमीटर कवच का कार्य वृंदावन रोड स्टेशन से छाता स्टेशन तक का पूरा किया जा चुका है। ट्रायल के समय लोको पायलट शिवदत्त शर्मा व सहायक पायलट उमेश कुमार मौजूद रहे। साथ ही एस एंड टी विभाग के डीटीई प्रशांत तोमर, एएसटीई पी एस चंदेल, लोको निरीक्षक उमाशंकर भरद्वाज, मुख्य यार्ड मास्टर लाल सहाय मीना मौजूद रहे।