तुर्की भूकंपः कैसे ‘ओउम’ से हुई उत्तराखंड के युवक की पहचान, मलबे के नीचे मिला शव
नई दिल्ली
तुर्की में आए भयानक भूकंप की तस्वीरें और वीडियो दिल को झकझोर कर रख देते हैं। उत्तराखंड के विजय कुमार गौड़ भी इस त्रासदी का शिकार हो गए। वह कंपनी के काम से कुछ दिनों के लिए ही तुर्की गए थे लेकिन कभी लौटकर वापस नहीं आ सके। मलातया के जिस होटल में वह रुके थे वह पूरी तरह से धराशायी हो गया और इसी मलबे में उनका शव पाया गया। मलबे में दबने की वजह से उनका चेहरा पहचान में ही नहीं आ रहा था। सवाल यह है कि आखिर उनकी पहचान कैसे हुई? उन्होंने बांह पर 'ओउम' का टैटू गुदवाया था जिससे पहचान की जा सकी।
विजय कुमार गौड़ (36 साल) उत्तराखंड के पौड़ी जिले के थे और बेंगलुरु की ऑक्सीप्लांट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में नौकरी करते थे। 22 जनवरी को वह तुर्की गए थे। शुक्रवार को उनके कपड़े पाए गए थे। अंकारा में भारतीय दूतावास ने ट्वीट कर बताया, 'दुख के साथ बताना पड़ रहा है कि तुर्किए के मलात्या में होटल में रुके भारतीय श्री विजय कुमार का शव बरामद किया गया था जो कि 6 फरवरी के भूकंप के बाद से लापता थे।'
गौड़ की पत्नी और बेटा इस बात की उम्मीद लगाए बैठे थे कि तुर्किए से कुछ अच्छी खबर सुनने को मिलेगी। हालांकि उनके परिवार को बेहद दुखद खबर मिली। इस खबर के बाद गौड़ के घर पर लोगों का तांता लग गया। उनका शव पहले इंस्तांबुल ले जाया गया और फिर वहां से दिल्ली के लिए रवाना किया गया। उत्तराखंड के कोटद्वार पहुंचने में तीन दिन का वक्त लग सकता है। तुर्की में भारतीय दूतावास ने भी ट्वीट करके कहा था कि शव को उनके गृहनगर तक जल्द से जल्द पहुंचाने का प्रबंध किया जा रहा है।
विजय कुमार ऑक्सीप्लांट में टेक्नीशन थे और वह कुछ काम से तुर्की गए थे। वह मलात्या के 'अवसर होटल' में रुके हुए थे। उनके भाई अरुण कुमार ने बताया कि भूकंप के बाद से ही उनका फोन बजता था लेकिन कोई रिसीव नहीं करता था। 5 फरवरी को आखिरी बार उनसे बात हुई थी। वह 20 फरवरी को वापस भारत आने वाले थे। अरुण कुमार ने कहा कि वह हर रात फोन करके परिवार से बात किया करते थे। रविवार रात उनका फोन नहीं आया और सोमवार सुबह पता चला कि तुर्की में भूकंप आया है। बता दें कि तुर्की और सीरिया में भूकंप से मरने वालों की संख्या 25 हजार को पार कर गई है। वहीं लोगों को अब भी बचाने का काम जारी है।