November 18, 2024

तुर्की में भूकंप के नाम पर वसूला जाता था टैक्स, अब आर्दोआन की सत्ता पर संकट

0

अंकारा

तुर्की में भूकंप ना केवल आम लोगों पर कहर बनकर टूटा है बल्कि यह रेचेप तैय्यप आर्दोआन की सत्ता के लिए भी बड़ा संकट बनकर आया है। भूकंप के बाद आर्दोआन की सरकार पर सवाल उठने लगे हैं। तुर्की में जल्द ही चुनाव भी होने वाले हैं ऐसे में आर्दोआन की सत्ता दांव पर लगी हुई है। इस समय जनता में आक्रोश है और वह आर्दोआन की अपील सुनने को भी तैयार नहीं है। दावा किया जा रहा है कि भूकंप में तुर्की औऱ सीरिया में मिलाकर 34 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। वहीं यह आंकड़ा अभी और बढ़ने का अनुमान है।

अब आर्दोआन को प्रूव करना है कि वह लोगों के नेता हैं औऱ उन्होंने भूकंप पीड़ितों की मदद की। इसके अलावा इतनी बड़ी संख्या में इमारतों के धराशायी होने के बाद लोगों के रहने की व्यवस्था करना भी उनके लिए चुनौती है। इससे पहले 1939 में तुर्की में खतरनाक भूकंप आया था। इस बार तुर्ती के 81 प्रांत भूकंप प्रभावित हुए हैं। भूकंप के बाद आर्दोआन सरकार का इंतजाम भी सुस्त दिखा और लोगों के पास राहत पहुंचने में समय लगा। हाला्ंकि अब अंतरराष्ट्रीय मदद पहुंच रही है और कई देशों के दल राहत और बचाव के काम में लगे हुए हैं। बताया जा रहा है कि केवल तुर्की में 12 हजार इमारतें ध्वस्त हो गईं। हाल यह है कि तुर्की डिजास्टर अथॉरिटी के कर्मचारी ही भूकंप में फंस गए।

कहां गई भूकंप टैक्स की रकम
साल 1999 में भी तुर्की में भूकंप आया था जिसमें करीब 17 हजार लोग मारे गए थे। इसके बाद से आदेश जारी किया गया था कि सभी इमारतों को भूकंपरोधी बनाया जाए। कॉस्ट्रक्टर्स को भी हिदायत दी गई। इसके अलावा इस काम के लिए जनता से अलग टैक्स भी वसूला गया। लेकिन अब सवाल है कि इतने सालों में इमारतें भूकंपरोधी बनी क्यों नहीं। अब राष्ट्रपति लोगों को यह कहकर शांत करने की कोशिश कर  रहे हैं कि ऐसी घटनाएं तो हुआ ही करती हैं। उन्होंने पीड़ित परिवारों को 530 डॉलर की तत्काल मदद देने के ऐलान किया है। इशके अलावा एक साल के अंदर पीड़ितों के घर बनाने का भी आदेश दिया गया है। हालांकि यह काम इतनी जल्दी नहीं पूरा किया जा सकता। जाहिर सी बात है कि उन्हें जनता के आक्रोश का सामना करना पड़ेगा।

आर्दोआन ने खुद स्वीकार किया कि समय पर लोगों के पास मदद नहीं पहुंच पाई और इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जाएगी। भूकंप प्रभावित ज्यादातर प्रांतों में आर्दोआन की पार्टी एकेपी का शासन है। वह 20 साल से सत्ता में हैं औऱ अब उनकी नीतियों का विरोध हो रहा है। वहीं किलिकदारोगलु 6 पार्टियों का नेतृत्व करते हैं जो कि मिलकर आर्दोआन के खिलाफ संयुक्त उम्मीदवार खड़ा कर सकते हैं। वहीं तुर्की में अर्थव्यवस्था भी बिगड़ रही है। यहां महंगाई 57 फीसदी की दर पर है।  

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *